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नारकोटीक्स में हर काम का ले रहे पैसा ...

मई में नारकोटिक्स इंस्पेक्टर की कार से 2.16 लाख रुपए मिले थे, भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज..!

कोटा | भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने चित्तौड़गढ़ में पदस्थ केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के इंस्पेक्टर अरुणकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में केस दर्ज किया है। मई में उसे 2.16 लाख रुपए लाते पकड़ा था तब वह एसीबी को राशि के बारे में संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाया था। एसीबी का मानना है कि राशि रिश्वत में ली गई है।

दानापुर कैंट पटना निवासी 48 वर्षीय अरुणकुमार वर्तमान में कोटा की नारकोटिक्स कॉलोनी में रहता हैं। वह जिला अफीम अधिकारी खंड प्रथम चित्तौड़गढ़ में इंस्पेक्टर हैं। एसीबी को इसके खिलाफ काफी समय

से शिकायत मिल रही थी। 4 मई को सूचना मिली कि अरुणकुमार अफीम किसानों से मोटी रकम की वसूली करके चित्तौड़ आ रहे हैं। टीम ने धनेश्वर टोल नाके पर कार रुकवाई। कार की तलाशी में 2 लाख 16 हजार 350 रुपए मिले थे। धनेश्वर टोल नाके पर 4 मई गुरुवार देर रात कार्यवाई के दौरान अरुण से इस रकम के बारे में पूछताछ की गई। वह बार-बार एक ही बात कहता रहा कि रकम पत्नी ने ज्वैलरी बनवाने के लिए दी थी। व्यस्त होने से गहने नहीं बनवा पाया।  क्रॉस सवाल किए गए तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। न यह बता पाया कि पत्नी ने किस खाते से यह पैसा उसकी पेंट की चार जेबों, पर्स के अलावा एक लाख रुपए सीट के कवर से जब्त किए थे। लेकर भी वह कुछ नहीं बता पाया । अरुणकुमार का कहना यह भी था कि रुपए किसी से उधार लेकर आए थे। टीम को इस बात पर संदेह हुआ। रुपए जब्त कर रिपोर्ट एसीबी मुख्यालय भेजी थी। मुख्यालय ने एक दिन की आय के अनुपात में ज्यादा रकम कब्जे में रखने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 के तहत अपराध माना है और अब इस पर अरुणकुमार के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई होगी।

बता दें की नारकोटिक्स अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी सबसे ज्यादा कार्रवाई कोटा एसीबी ने की। वर्ष 2018 से अब तक यह छठीं कार्रवाई है। अब तक की कार्रवाइयों में यह बात सामने आ चुकी है कि नारकोटिक्स में हर काम का पैसा लिया जा रहा है। पट्टे बचाए रखने के लिए नारकोटिक्स अधिकारियों को खुश रखना किसानों की मजबूरी है। टॉप लेवल के अफसर एसीबी की गिरफ्त में आ चुके हैं।

वर्ष 2018 अफीम पट्टा देने की एवज में 15 हजार रुपए की रिश्वत लेने के मामले में जिला अफीम अधिकारी कोटा कार्यालय के निरीक्षक पंकज कुमार गुप्ता और संविदाकर्मी पंकज पांचाल को गिरफ्तार किया गया। वर्ष 2019 में नारकोटिक्स राजस्थान में सबसे बड़े पद पर आसीन तत्कालीन उपायुक्त सहीराम मीणा को 1 लाख रुपए की घूस लेते पकड़ा, देने वाले कमलेश को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया। यह रकम गांव में अफीम मुखिया नियुक्त करने के लिए दी गई थी।

इसी साल वर्ष 2019 में एसीबी ने टेक्नीकल एविडेंस जुटाकर चित्तौड़गढ़ में बड़ी कार्रवाई की अधीक्षक सुधीर यादव, सब इंस्पेक्टर भानुप्रताप आदि के घरों, वाहनों की तलाशी ली, जिसमें अफीम, स्मैक, अवैध नारकोटिक्स विभाग में शराब आदि मिली। सर्विलांस के दौरान की गई रिकॉर्डिंग्स में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ और कई अन्य कार्मिकों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया। वर्ष 2021 में  गाजीपुर अफीम फैक्ट्री के महाप्रबंधक इससे संबंधित जिलों में शशांक यादव, जिनके पास अफीम फैक्ट्री नीमच का भी अतिरिक्त चार्ज था, कोटा में हाइवे पर उसकी तलाशी सामान्य तौर पर एसीबी द्वारा ली गई, जिसमें 16 लाख से ज्यादा नकदी मिली। वर्ष 2022 झालावाड़ एसीबी की टीम ने 60 हजार रुपए की घूस लेते नारकोटिक्स सब इंस्पेक्टर सहित 3 लोगो को गिरफ्तार किया। बाद में इंस्पेक्टर की कोई भुमिका नही होने पर एक नीजी व्यक्ति के खिलाफ चालान पेश किया गया। कोटा एसीबी का खौफ इस कदर है कि बड़े अधिकारी कोटा और पोस्टिंग से डरते हैं। एसीबी द्वारा राज्य सरकार के विभागों भी भ्रष्टाचार पकड़ा जा सकता है।चित्तौड़गढ़ नारकोटिक्स विभाग का इतिहास दागदार रहा है, भ्रष्टाचार के मामलों में कई अफसर जेल की हवा खा चुके है।

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