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प्रदेश में सबसे अधिक आवास पूर्ण करने वाली पंचायत खरगोन में

इन्दौर। इंदौर संभाग के खरगोन जिले में महाराष्ट्र राज्य से लगी आकांक्षी जनपद भगवानपुरा की धुलकोट पंचायत प्रदेश में सबसे अधिक सरकारी आवास बनाने वाली पंचायत बन गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यहां 1667 आवास बनकर तैयार हो चुके हैं। कलेक्टर खरगोन श्री शिवराज सिंह वर्मा की अगुवाई में पीएम आवास का काम आकांक्षी जनपद में मिशन के रूप में किया गया। इसके परिणामस्वरूप जनपद की यह पंचायत सबसे अधिक पीएम आवास बनाने वाली पंचायतों की प्रदेश स्तरीय ताजा टॉप-50 रैंकिंग में धुलकोट टॉप पर है। जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी. दूर धूलकोट गांव की आबादी लगभग 18 हजार है। यहां की भौगोलिक स्थिति पहाड़ी व पथरीली है। धूलकोट पंचायत में कान्यापानी, जूना पानी, जूना बिलवा, नया बिलवा, रतनपुरा, आडफाटा व चौखंड फलियों में बंटा हुआ है। जनपद सीईओ श्री पवन शाह ने जानकारी देते हुए बताया कि यह पंचायत करीब 22 किमी. क्षेत्र में फैली हुई है। आदिवासी क्षेत्र में यहां पर कच्चे मकान अधिक होने से पात्र हितग्राही परिवारों की संख्या ज्यादा है। इसलिए बड़े पैमाने पर पीएम आवास की स्वीकृति जारी हुई।

दुर्गम पहाड़ी जनपद भगवानपुरा के धुलकोट में न सिर्फ सबसे अधिक आवास बने हैं। बल्कि यहाँ बने आवासों की डिजाईन सबसे अनोखी भी है। भारत शासन की इस योजना में शासन द्वारा डिजाइन भी निर्धारित की गई है। लेकिन धूलकोट के आदिवासी हितग्राहियों ने अपने संस्कार और संस्कृति के संरक्षण के लिए अपनी ही तरह की एक अनोखी डिजाईन में आवास बनाएं है। डिजाईन को लेकर सरपंच सालकराम किराड़े ने बताया कि पक्की छत वाली डिजाईन में आदिम जाति के पूर्वजों, देवी-देवताओं और कुलदेव के आव्हान या उनकी उपासना करने के योग्य नहीं है। परम्परा अनुसार ऐसी धारणा है कि ढाल वाले घर होने से पूर्वजों को अपने पूर्वजों का सम्मान करना ज्यादा उचित लगता है। साथ ही उनके मकान और उनके उपयोगी सामानों के कारण ही तो अन्य समाज और लोगों से अलग है। यही तो उनकी पहचान है। इसे कैसे छोड़ दे। धूलकोट पंचायत के करीब 9 फलियों में तकरीबन 70 आवास ढाल वाली डिजाईन में ही बने हैं। ढाल के साथ छत पर कहीं-कहीं इंग्लिश कवेलू और कहीं परम्परागत कवेलू व नलिये भी छवाये हैं। इस से घर की सुंदरता आपको जरूर आकर्षित करेगी।

पीएम आवास हितग्राही मोरसिंह हबजिया कनोजे याद करते हुए बताते हैं कि आज से करीब 3 वर्ष पहले उनका मकान बांस के टाटिया से बना हुआ था। स्थानीय बोली में कहे तो उनका मकान टाटले का बना हुआ था। उस पर गोबर की लिपाई की हुई थी। तब कच्चा घर आंधी बारिश में गिरने का हमेशा डर बना रहता था। हितग्राही को 2019-20 में पीएम आवास की स्वीकृति मिली। आवास निर्माण में खुद ने भी मजदूरी की। पहले लोगों के खेतों में मजदूरी करते थे। अब पक्के मकान में किराना दुकान से 200 रू. प्रतिदिन की आय भी हो रही है। ऐसे कई हितग्राही है जिनके जीवन में बदलाव आया है।

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