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सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दिया : न्यायाधीश वर्मा

बेगमगंज।  देश के सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर को भी कानूनी मान्यता देकर सम्मानजनक जीवन जीने का मौका दिया है । इसके लिए विधि एवं अन्य प्रशासनिक क्षेत्र में अनेक प्रावधान किए गए हैं ।

थर्ड जेंडर पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर को संबोधित करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश आरके वर्मा

उक्त बात तहसील विधिक सेवा समिति अध्यक्ष व जिला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरके वर्मा द्वारा  न्यायालय परिसर में पहचान सप्ताह अंतर्गत ट्रांसजेंडर समुदाय की समाज में स्वीकार्यता बढ़ाने तथा विधिक अधिकारों एवं शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के संबंध में ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के साथ विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर में कहीं।

न्यायाधीश श्री वर्मा द्वारा शिविर में उपस्थित ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों से पहचान सप्ताह अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में उनके पहचान पत्र जैसे वोटर आईडी, आधार कार्ड, राशन कार्ड आदि उनके पास है या नहीं की जानकारी ली  तथा उन्हें पहचान पत्र बनवाने में किसी प्रकार की समस्या एवं परेशानियां आ रही है तो उसके संबंध में जानकारी ली गई । 

ट्रांसजेंडर सदस्यों के द्वारा बताया गया कि सभी के पहचान पत्र बने हुए हैं

शिविर में न्यायाधीश श्री वर्मा द्वारा उपस्थित सदस्यों को ट्रांसजेंडर के अधिकारों के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए  बताया गया कि भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर को उनके अधिकारों की रक्षा करने तथा भेदभाव मिटाने के उद्देश्य से तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी है ।  भारत के संविधान के तहत ट्रांसजेंडर को समानता एवं अपनी स्वतंत्रता के आधार पर अपना जीवन यापन करने, अपने धर्म को मानने, रोजगार एवं शिक्षा आदि में समान अवसर प्रदान किए हैं। शिविर में ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों में  रुखसार, काजल,  नैना एवं तब्बू उपस्थिति रहीं।


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