बेगमगंज। भाई-बहनों के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार नगर साहित ग्रामीण क्षेत्रों में काफी धूमधाम के साथ मनाया गया। मौके पर बहनों ने अपने भाईयों की कलाईयों पर रक्षा सूत्र बांध उनकी लम्बी आयु व स्वास्थ्य शरीर की कामना की तो भाईयों ने बहन की रक्षा का संकल्प लिया। बहनें विभिन्न परिधानों में सजकर भाईयों की आरती उतार कलाईयों पर राखी बांध मिठाइयां खिलाती नजर आई तो बदले में भाईयों ने बहन की रक्षा का वचन देते हुए उपहार भेंट किए। दूर-दराज में रहने वाली बहनों द्वारा भेजी गयी राखी को भी भाई ने उतने ही सम्मान के साथ ग्रहण किया तो कई बहनें भाईयों के घर पहुंच कर राखी बांधने के कार्य को मूर्तरूप दियि। भाइयों की कलाई पर बहनों का प्यार सजा तो वहीं बहनों के चेहरे पर भाइयों द्वारा दिए गए उपहार की रौनक छाई थी। रक्षाबंधन पर्व के मौके पर घर- घर में मुहूर्त पर राखी बांधी गई। पूर्ण विधान से बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर राखी बांधते ही भाइयों द्वारा बहनों को उपहार दिए गए। रक्षा बंधन को लेकर मिठाई की दुकानों पर भी काफी भीड़ रही। छोटे बच्चों में रक्षाबंधन को लेकर गजब का उत्साह देखा गया। छोटे-छोटे बच्चों ने भी एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधकर उपहार का आदान प्रदान किया। बहनों ने भाई के कलाई पर रक्षासूत्र बांध कर रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया। वहीं उप जेल में नजर इसके विपरीत था जहां गमगीन माहौल में बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनसे अपराध ना करने का वचन लिया। कई हिंदू बहनों ने अपने मुस्लिम भाइयों की कलाई पर राखी बांधी तो वहीं कहीं मुस्लिम बहनों ने अपने हिंदू भाई की कलाई पर राखी बांधकर नगर की गंगा जमुनी परंपरा का निर्माण किया। ग्राम तुलसीपार में एक अलग ही परंपरा देखने को मिला वहां एक 75 वर्षीय मुस्लिम बुजुर्ग नजीर उर्फ बादशाह खान अकेले है खुद का घर है घर पर ही रहते हैं खाना खुद बनाते हैं और त्योहार पर हिंदू भाइयों के घर पर भोजन करते हैं बरसों से रक्षाबंधन के पर्व पर खुद राखी रुमाल खरीदते हैं और हिंदू भाइयों के घर, दुकान पर जाकर रक्षा सूत्र बांधते हैं कहते हैं हिंदू मुस्लिम में भाईचारा बना रहे अमन चैन सुख शांति रहे।
रक्षाबंधन पर बहाने भाई की कलाई पर राखी बांधते हुए |