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"राह देखा करेंगे सदियों तक छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा"

स्वर्गीय डॉक्टर रशीद अली

बेगमगंज। शहर के नामी-गिरामी हकीम मरहूम  हबीब अली  खुरई वालों के साहबजादे डॉ. रशीद अली  आज से 5  साल पहले  अचानक सभी को छोड़कर अपने मालिके हकीकी से जा मिले । उनकी पांचवीं बरसी पर चाहने वालों ने उन्हें शिद्दत से याद किया और आपकी मगफिरत की दुआ की ।

हाजी इरफान खान है आपकी जिंदगी पर प्रकाश डालते हुए कहा की आपका मुस्कुराता हुआ चेहरा आज भी नजरों के सामने रहता है मरीजों से मोहब्बत के साथ पेश आने का अंदाज निराला ही था मरीज का आधा दर्द तो आपके मोहब्बत भरे अखलाक से ही दूर हो जाता था आपके लिखे हुए नुस्खों के सही इस्तेमाल से कई लाइलाज मरीज  सेहतयाब हो जाते थे, आज भी आपकी कमी का एहसास लोगों को होता है।

किसी शायर ने क्या खूब कहा है:- हर दर्द का इलाज नहीं मिलता दवाखाने से, कुछ दर्द चले जाते हैं सिर्फ मुस्कुराने से, वाकई आपके इलाज करने का तरीका और आपकी मुस्कुराहट मरीजों की आधी बीमारी दूर कर देती थी।

इस अवसर पर रफीक नवाब, रफीक मंसूरी, शारिक शाह खान,  एहफाज सौदागर, शब्बीर अहमद पत्रकार ने भी उनके जीवन पर रोशनी डालते हुए खिराजे अकीदत पेश की । 

खिराजे अकीदत पेश करने वालों में सईद नादां एड. , पूर्व पार्षद मुन्ना अली दाना, डॉक्टर नसीम अली, शफीक खान, हनीफ मुंशी, शकीरा दादा, हाजी शफीक अली, डॉक्टर इदरीस अली, राशिद खान पत्रकार, जकी अली, अमजद अली, सईद अली टेलर, अफसर सौदागर, तय्यूब पठान, हाजी टेलर, मुजाहिद अहमद मूसा अली शादाब मंसूरी आदि प्रमुख है।


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