Type Here to Get Search Results !

मध्य प्रदेश की चार विभूतियां संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार से सम्मानित

भोपाल। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज मध्यप्रदेश की तीन विभूतियों को प्रदर्शन कला के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार प्रदान किया। विज्ञान भवन में आयोजित अलंकरण समारोह में श्री किरण सदाशिव देशपांडे को वाद्य संगीत के क्षेत्र में, श्री चुन्नीलाल रैकवार को लोक संगीत के क्षेत्र में और श्री भगवतीलाल राजपुरोहित को प्रदर्शन कला में विद्वत्ता के लिए सम्मानित किया गया।

उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विजेताओं को ताम्र-पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में संस्कृति राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी भी उपस्थित थीं। प्रदेश के एक अन्य विजेता श्री हीरा सिंह बोरलिया अलंकरण समारोह में उपस्थित नहीं हो सके। 

श्री किरण सदाशिव देशपांडे को हिंदुस्तानी वाद्य संगीत श्रेणी में तबला वादन में विशिष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इनका संबंध दिल्ली, फरूखाबाद और अजराड़ा घराने से है। श्री देशपांडे ने जबलपुर के भातखंडे संगीत महाविद्यालय में तबला शिक्षक और व्याख्याता के रूप में काम किया है। वे मध्यप्रदेश कला परिषद के सदस्य और भारत भवन, भोपाल के ट्रस्टी भी रहे हैं। इन्हें भारत सरकार के संस्कृति विभाग से जूनियर और सीनियर फैलोशिप तथा मध्यप्रदेश सरकार से शिखर सम्मान प्राप्त हो चुका है।

श्री चुन्नीलाल रैकवार को बुंदेली लोक संगीत में योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इन्होंने गायक और संगीतकार के रूप में अपने रचनात्मक प्रयास से बुंदेलखंड क्षेत्र की ढिमरयाई परंपरा को आगे बढ़ाया है।

श्री भगवतीलाल राजपुरोहित को भारतीय रंगमंच में विद्वत्ता के लिए सम्मानित किया गया।  इन्होंने 'मालवी संस्कृति और साहित्य' सहित 100 से अधिक पुस्तकों और 50 से अधिक नाटको की रचना की है। इनके नाटक 'कालिदास चरित्रम' का संस्कृत, हिंदी और मालवी में मंचन हुआ है। वे 10 वर्षों तक विक्रमादित्य शोधपीठ, उज्जैन के निदेशक और 38 वर्षों तक सांदीपनि आश्रम, उज्जैन में हिंदी, संस्कृत और प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.