सरकारी विभागों में लगे प्राइवेट गार्ड सवालों के घेरे में!
मंदसौर। जिले में ऐसे तो कई सिक्योरिटी एजेंसी काम कर रही है किंतु इनमे कितनी लाइसेंस धारी है और कितनी एजेंसियां बिना लाइसेंस के चल रही है इसका अंदाजा शायद किसी को नहीं है अगर बात करे शहर के निजी अस्पतालों, निजी कॉलेज, निजी स्कुल, बड़े बड़े रेस्टोरेंट या प्राइवेट बैंक व एटीएम पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड की तो इनमे से कुछ ही जगह लाइसेंस वाली एजेंसी के गार्ड तैनात मिलेंगे। तो वही सरकारी विभागों में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड की बात करे तो पशुपतिनाथ मंदिर, निर्माणधीन मेडिकल कॉलेज व मंडी में लगी सिक्युरिटी एजेंसी की बात करे तो शायद इनके पास भी सिक्योरिटी एजेंसी चलाने का लाइसेंस की भी जांच करना चाहिए इनके पास लाइसेंस होगा तो वह शर्तो पर खरे नहीं उतरेंगे क्यों की लाइसेंस वाली सिक्योरिटी गार्ड का बकायदा बीमा होता है अगर कभी काई गार्ड कुछ गड़बड़ी करता है या उसके साथ कोई घटना घटती है तो उसकी समस्त जिमेदारी भी एजेंसी की होती है। किंतु जिले में बिना लाइसेंस वाली सिक्योरिटी एजेंसी कम रुपए में काम ले लेती है किंतु जब विपता आती है तो अपने हाथ खड़े कर देती है जिले के जिमेदार अधिकारियों को एक बार अभियान चलाकर जिले में संचालित सिक्योरिटी एजेंसी की जांच करना चाहिए व बिना लाइसेंस वाली सिक्योरिटी एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही करना चाहिए।