भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज रायसेन जिले में स्थित विश्व धरोहर स्मारक स्थल साँची नगर को प्रथम सोलर सिटी के रूप में लोकार्पित किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहा कि आज अक्षय ऊर्जा के अधिकतम उपयोग की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जो ऊर्जा संरक्षण का संकल्प लिया और इस क्षेत्र में कार्य करने का मंत्र दिया है, उसे सामाजिक दायित्व मानकर पूरा करने की दिशा में मध्यप्रदेश आगे बढ़ा है। मध्यप्रदेश ओंकारेश्वर में भी बांध की सतह पर सोलर पैनल लगाकर 600 मेगावाट क्षमता के संयंत्र स्थापित करने की पहल की गई है। साँची से कभी विश्व को शांति का संदेश पहुँचा था। अब साँची सौर ऊर्जा के क्षेत्र में पथ-प्रदर्शन करेगा। कार्यक्रम में नवकरणीय विभाग और आईआईटी कानपुर के मध्य साँची को नेट जीरो सिटी बनाने के करारनामे पर हस्ताक्षर किए गए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोयले और अन्य साधनों से बिजली के उत्पादन का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। पारम्परिक माध्यमों को छोड़कर प्रकृति को नुकसान पहुँचाए बिना सौर ऊर्जा उत्पादन की शुरूआत के लिए साँची के नागरिक, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग और सभी वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न संस्थानों से पधारे विद्वानों, वैज्ञानिकों और ऊर्जा संरक्षण क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों का अभिनन्दन करते हुए आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह साँची और देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ा है। साँची के पास नागौरी में तीन मेगावाट क्षमता की सौर परियोजना के फलस्वरूप साँची सोलर सिटी बनी है। निकट भविष्य में गुलगांव में पाँच मेगावाट की सौर परियोजना स्थापित होगी जो कृषि क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि साँची सोलरसिटी से वार्षिक 14 हजार टन से अधिक कार्बन डाईआक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी, जो लगभग 2 लाख 38 हजार से अधिक पेड़ों के बराबर है। ईकोफ्रेंडली सुविधाओं से पर्यावरण प्रदूषण रूकेगा। ई-व्हीकल को बढ़ावा दिया गया है। चार कमर्शियल चार्जिंग पाइंट तथा तीन ई-रिक्शा चार्जिंग पाइंट स्थापित कर दिए गए हैं। बैटरी वाहनों के चलने से 9 लाख से अधिक मूल्य के डीजल की भी बचत होगी।