मानसून की मार धान की खड़ी फसल बखरने लगे किसान , सोयाबीन के पौधों से फूल और फली झड़ने लगे
सरकार से किसान कर रहे मुआवजे की मांग
आसमान पर बादलों को निहारता किसान |
बेगमगंज। क्षेत्र में करीब एक माह से मानसून की बेरुखी के चलते किसानों ने अब बारिश की उम्मीद छोड़ दी है। यही वजह है कि कई किसानों ने जिंदगी जमीन सुखी है उन्होंने अब आगामी सीजन की फसल की तैयारी के लिए खेतों में खड़ी धान,मक्का की फसलों पर बखरनी शुरू कर दी है। जहां पानी के संसाधन नहीं हैं, वहां स्थिति विकराल हो रही है जहां पानी के संसाधन हैं, वहां फसल को बचाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह नाकाफी है। स्थिति यह है कि सोयाबीन की फलियां सूखकर गिरने लगी हैं और इल्ली का प्रकोप भी बढ़ने लगा है। बारिश का इंतजार करते-करते अब कुछ किसानों ने सिंचाई शुरू कर दी है।
फसल बखरता किसान |
किसानों की मानें तो सोयाबीन की फसल के साथ धान और मक्का को अभी पानी की जरूरत है, क्योंकि अधिकांश फसल में फलियां आ चुकी हैं।
किशन राम सिंह का कहना है कि मक्का के भुट्टे निकल आए हैं। पानी न गिरने से सोयाबीन की फलियां सूख रही है और दाना भी छोटा रह जाएगा वही मक्का के भुट्टे में दाने नही आ रहे हैं। किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं कि बारिश कब होगी।
किसान सौरभ शर्मा ने बताया कि। एक माह से पानी नही गिरने के कारण धान की ग्रोथ नही हो सकी और अब पौधे सूखने लगे हैं। वही सोयाबीन की फसल पकने तक अभी कुछ दिनों के अंतराल से बारिश की बहुत जरूरत है। पहले तेज बारिश के कारण फूल झड़ने से फलियां सोयाबीन से कम ही आई हैं।
आपको बता दे कि किसानों ने महंगे दामों में खरीद कर दवाइयों का छिड़काव भी किया लेकिन आखरी समय में प्राकृतिक आपदा आ गई।
किसान नेता बालगिरी गोस्वामी, प्रदीप मिश्रा, डॉ रवि शर्मा, कैलाश गुप्ता, इस्माईल खान, अजहर पटेल, सौरभ यादव, गोविंद गौर, जाहर सिंह लोधी, इंसाफ खान, माजिद शाह, कमलेश विश्वकर्मा, संतोष घोषी, अवधेश गौर, नवल किशोर यादव, पृथ्वी सिंह अजब सिंह आदि ने शासन से बर्बाद हो रही फसलों का स्थल निरीक्षण कराकर किसानों को मुआवजा प्रदान करने की मांग की है।
इस संबंध में प्रभारी कृषि एसडीओ जेपी शर्मा का कहना है कि अगस्त में बारिश नहीं होने से सोयाबीन आदि की फैसले सूखने की कगार पर हैं विभाग के अधिकारी कर्मचारी किसानों को सिंचाई करने की सलाह दे रहे हैं। प्राकृतिक आपदा से निपटने के प्रयास किया जा रहे हैं किसानों को सलाह है कि वह एनपीके नैनो डीएपी का छिड़काव करें।