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मनचाही नहीं, रब चाही जिंदगी गुजारो: मौलाना सामिद

मौलाना सामिद खां नदवी

बेगमगंज। हम सब उम्र के उसे पड़ाव पर हैं की कभी भी हमारा बुलावा आ सकता है हम में से ज्यादातर ने आज तक अपनी मर्जी अपने मन के मुताबिक जिंदगी गुजारी है । लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम रब के हुक्म के मुताबिक अपनी जिंदगी गुजारने वाले बने ताकि हमारी आखिरत संवर सके। अगर अब भी हम नबी के बताए हुए तरीके पर नहीं आए तो फिर बर्बादी यकीनी है।

उक्त बात मरकज वाली मस्जिद में जुमे के नमाज से पहले पेश इमाम हाजी मौलाना सामिद खां नदवी ने उपस्थित लोगों के समक्ष कहीं । उन्होंने कहा कि हम सच्चे दिल से रब को पुकारे वो यकीनन हमारी सदाएं सुनता है। एक बार नमाज पढ़ कर दुआ मांगने पर इत्तेफा ना करें बल्कि पांचो वक्त की नमाजे अदा करके दिल से अपने रब को पुकारे सारी जिंदगी गुनाह करने के बावजूद भी जब दिल से रब को पुकारा जाता है तो वह पुकार सुनता है। इसके लिए उन्होंने वक्त के खलीफा हजरत उमर रजि. की मिसाल पेश करते हुए उनका एक वाक्या विस्तार से सुनाते हुए कहा कि एक बूढ़ा शख्स मस्जिद में जिंदगी में पहली बार गया और रब से फरियाद की तो रब ने उसकी फरियाद पूरी करने के लिए हजरत उमर को भेज दिया। जिस पर उसे बूढ़े शख्स को बहुत पछतावा हुआ कि मैंने जिंदगी भर रब की नाफरमानी की और एक बार दिल से पुकारा तो उसने वक्त के खलीफा को भेज दिया अगर मैंने पूरी जिंदगी रब की मर्जी के मुताबिक गुजारी होती तो मैं कहां से कहां पहुंच गया होता।

उन्होंने उपस्थित लोगों से नबी के बताए तरीके पर जिंदगी गुजारने का आवाहन किया।


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