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हमें अपना यकीन सहाबा की तरह बनाने की जरूरत : मौलाना सामिद

मौलाना सामिद नदवी

बेगमगंज। आज हमारी जिंदगी नबी के बताए हुए तरीकों पर नहीं गुजर रही यही वजह है कि मसाइब बारिश की बूंदों की तरह आ रहे हैं और हमारी गफलत का यह हाल है कि हम अपनी मर्जी के मुताबिक जैसे पहले जिंदगी गुजर रही थी आज भी गुजार रहे हैं। हमारी यह गफलत हमारी नसलों को बर्बादी की ओर ले जा रही है। आज जरूरत है कि हमारा यकीन सहाबा की तरह हो इसकी हमें कोशिश करना चाहिए।

उक्त बात जुमे के खुतबे  से पहले मरकज मस्जिद के पेश इमाम मौलाना सामिद खां नदवी ने उपस्थित लोगों से कहीं।  उन्होंने सहाबा के यकीन के कई वाक्यात भी विस्तार से बताएं कि जब पैगंबर इस्लाम किसी के बारे में कुछ कहते थे तो सहाबा फौरन यकीन कर लेते थे कि ऐसा ही होगा। जब पैगंबर इस्लाम ने कई दिन से भूख की शिद्दत बर्दाश्त कर रहे हैं सहाबा से यह कहा कि केसर और किसरा के ताज तुम्हारे सरों पर होंगे तो सहाबा को यकीन हो गया कि ऐसा ही होगा। दुनिया ने आगे चलकर देखा कि केसर और किसरा के ताज सहाबा के कदमों में डले थे। पैगंबर इस्लाम ने आज के माहौल के बारे में जो बताया है उस पर हमारा यकीन सहाबा की तरह होना चाहिए और वैसे ही आमाल हमें करना चाहिए जैसा कि हमें हुक्म दिया गया है। तभी हम कामयाब हो सकेंगे। उन्होंने लोगों से आवाहन किया की नबी के बताए तरीके पर मुकम्मल तौर पर चलना शुरू करें। ऐसा ना हो कि कहीं देर हो जाए और हम हाथ मलते रह जाएं। उन्होंने लोगों से अपने आमाल दुरुस्त  करने की नसीहत की।

मक्का मस्जिद बालाई टेकरी पर मौलाना नजर मोहम्मद गोंडवी, मदीना मस्जिद पठान वाली में मुफ्ती रुस्तम खां नदवी, मस्जिद अमीर दाद खां में जमीयत उलेमा के सदर मौलाना सैयद जैद ने 28 सितंबर को पैगंबर इस्लाम की पैदाइश पर मनाए जाने वाले 12 वफात के त्योहार के संबंध में विस्तार से रोशनी डाली और लोगों से पैगंबरे इस्लाम के बताए तरीके पर अमल पैरा होकर जिंदगी गुजारने का आवाहन किया। शहर की आने मस्जिदों में भी मजहबी  तकरीरें हुई।


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