भोपाल। ने g20 की भारत की अध्यक्षता के उत्सव को मनाने की श्रृंखला में शब्दों का अनोखा संसार रचने वाले कवि सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें भोपाल और बाहर के भी अथिति कवियों ने अपनी रचनाओं से उपस्थित जन समुदाय का मनोरंजन किया इस कवि सम्मेलन में जहां युवा कभी भी शामिल थे वहीं देश के मध्य प्रतिष्ठित वीर रस के कवि वेदव्रत वाजपेई जैसे और मदन मोहन समर्थ और देश-विदेश में भोपाल करो हम रोशन करने वाली गीतकार डॉ अनुशासन भी शामिल थे जैसे वरिष्ठ वीर रस के ओजस्वी कवि भी थे। भोपाल की कवियित्री सीमा शिवहरे ने श्रांगार रस बिखेरते हुए कहा
मेरे पैरों में पायल है जो हर पल ही छनकती है।
मेरे हाथों की चूड़ी भी तेरी ज़िद पर खनकती है ।
चंदेरी से आये मशगूल मेहरबानी ने अपने गहरे अर्थ वाले मुक्तको से खूब वाह वाही लूटी-
आज जो ख़ुश है बिछड़ने पे कभी मेरे बग़ैर
एक लम्हे के गुज़रने को सदी कहता था
कैसे कर लूँ मैं यक़ीं दूर नहीं जाओगे
तुम से पहले भी कोई था जो यही कहता था
भोपाल की नम्रता नमिता ने अपने गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया -
जिसने अपना सारा सुख बच्चों के कल में देखा है
और कोई भी तमगा न उसके प्रतिफल में देखा है
मूर्ख है वो जो दुनिया मे ज़न्नत को ढूंढा करते हैं
मैने जन्नत को अपनी माँ के आँचल में देखा है
शाजापुर में हास्य व्यंय के विख्यात कवि अशोक नागर अपनी हास्य रचनाओं से सुनने वालों को गुदगुदाया
बोल मीठे ना हो तो हिचकियां नहीं आती
कीमती मोबाइल में घंटियां नहीं आती
घर बड़ा हो या छोटा गर मिठास ना हो तो
आदमी क्या आएंगे चीटियां नहीं आती।
लखनऊ से आये वीररस के विख्यात कवि वेदव्रत व्यास ने जैसे ही अपनी देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति आरंभ की पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।उन्होंने कहा
सर्जना है सिंधु की घनों की गर्जना है घोर।
आंधियों के जोर शोर से लगी लगाम है।
देवता भी जिस देश की प्रशस्ति बांचते हैं।
ऐसी वरदानी मातृभूमि को प्रणाम है।
आगे उन्होंने कहा
देश नहीं बनता है मिट्टी गिट्टी ईट मकानों से।
मां का मस्तक ऊंचा होता बेटों के बलिदानों से।
देश विदेश में भोपाल का नाम रोशन करने वाली विख्यात गीतकार डॉ. अनु सपन ने अपने गीतों से श्रोतों को झूमने पर मजबूर कर दिया
मुश्किलों से हमें जूझना आ गया।
हारते हारते जीतना आ गया।
देश नहीं बनता है मिट्टी गिट्टी ईट मकानों से।
मां का मस्तक ऊंचा होता बेटों के बलिदानों से।
वीररस के प्रख्यात कवि मदन मोहन समर ने अपने ओजस्वी स्वर में श्रोताओं को बांध दिया
हम इसकी रज में खेले हैं, हम इसीलिए अभिमानी हैं।
हम धन्य हुए हम गर्वित हैं, क्योंकि हम हिंदुस्तानी हैं।
कवि सम्मेलन का सन्चालन डॉ. रमेश श्रीवास्तव ने किया।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन कार्यक्रम प्रमुख विश्वास केलकर ने किया और आभार प्रदर्शन केंद्र प्रमुख यशवंत चिवन्डे ने किया।