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वर्ष 2023 की तृतीय नेशनल लोक अदालत का सफल आयोजन

भोपाल।जिला भोपाल में नेशनल लोक अदालत के माध्यम से  प्रीलिटिगेशन के टैªफिक-ई  चालान जमा करने की सर्वप्रथम शुरूवात की गयी  जिसे प्रदेश के सभी महानगरो में टैªफिक-ई चालान के प्रीलिटिगेशन प्रकरण नेशनल लोक अदालत में रखे जाने लगे। 

आज दिनांक 09.09.2023 को माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमान मनोज कुमार श्रीवास्तव जी के द्वारा माॅं सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन एवं माल्यार्पण कर नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया । कार्यक्रम में जिला न्यायाधीश/सचिव श्री एस.पी.एस. बुन्देला जी, विशेष जिला न्यायाधीश श्री कमल जोशी जी,  प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय, जिला न्यायालय भोपाल के समस्त न्यायाधीशगण, पुलिस आयुक्त भोपाल श्री हरिनारायणचारी मिश्र,, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री पी.सी. कोठारी एवं जिला अभिभाषक संघ भोपाल के सदस्यगण, एवं जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री अभय सिंह उपस्थित रहे। 

नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया जिसमें कुल 61 खण्डपीठों का गठन किया गया। नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायालय भोपाल के प्रवेश द्वार स्थित हॉल में विधि विद्यार्थियों द्वारा रंगोली बनायी गयी तथा विधिक सेवा प्राधिकरण की समस्त योजनाओं के प्रिंट लगाकर आमजन को बताया गया साथ ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की योजनाओं के पेम्पलेट वितरित किये गये ।   

लोक अदालत के सफल आयोजन में जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, अधिवक्तागण, कर्मचारीगण, न्यायाधीशगण का भरपूर सहयोग रहा ।

सफल स्टोरी -

1.  नेशनल लोक अदालत में तृतीय अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण न्यायाधीश् ा  श्रीमान अरविंद कुमार शर्मा जी के न्यायालय में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण का 65 लाख रूपये का अवार्ड पारित भोपाल दिनांक 09.09.2023 को नेशनल लोक अदालत के माध्यम से संबंधित न्यायालय के एक प्रकरण में सर्वाधिक 65 लाख रूपये का अवार्ड पारित हुआ । तृतीय अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण भोपाल में आवेदक श्री राकेश श्रीवास्तव एवं अन्य की ओर से क्षतिपूर्ति दावा प्रस्तुत किया गया था । उक्त प्रकरण में आवेदक की ओर से अधिवक्ता श्री एम.आर. राजन और श्री आशीष  श्रीवास्तव ने दावा प्रस्तुत किया जिसमें मृतिका क्रीर्ति श्रीवास्तव की दिनांक 30.10.2021 को सड़क दुर्घटना में आई चोटो के कारण मृत्यु हो गई थी । जिसका क्लेम प्रकरण तृतीय अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण न्यायाधीश श्रीमान अरविंद कुमार शर्मा जी के न्यायालय के द्वारा उक्त प्रकरण में आवेदक अधिवक्ता एवं बीमा कंम्पनी फ्यूचर जनरल इंश्योरेंस कंपनी के विधि अधिकारी श्री रामलाल मालवीय एवं अधिवक्ता श्री आई.पी. पाल के साथ सार्थक प्रयास से लोक अदालत के माध्यम से 65,00,000/- (अंकन पैंसठ लाख रूपये) में समझौता किया जाकर प्रकरण का निराकरण किया गया । 

2. नेशनल लोक अदालत में दो परिवारो के मध्य हुआ राजीनामा 2ण्न्या यालय श्री अजय नील करोठिया प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश के तृतीय अतिरिक्त न्यायाधीश महोदय की अदालत में दो परिवारों के मध्य हुआ राजीनामा - आवेदिका श्रीमती रीता ठाकुर एवं श्री नरेश कुमार गौड का न्यायालय में धारा 09 हिन्दु विवाह अधिनियम 1955 के तहत् मामला चल रहा था । रीता ठाकुर एवं श्री नरेश के मध्य हिन्दु  रिति रिवाज से वर्ष 2018 में विवाह सम्पन्न हुआ था । दो वर्ष तक साथ रहने के उपरांत आपसी मतभेद के चलते अलग रहने लगे थे । नरेश टी.एन.सी.पी. कार्यालय में वाहन चालक के पद पर कार्यरत् है । नेशनल लोक अदालत में माननीय अजय नील करोठिया अपर सत्र न्यायाधीश महोदय की समझाईश पर दोनो पति-पत्नि आज एक साथ रहने के लिए तैयार हो गये और हंसी खुशी माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव जी के समक्ष दोनो पति पत्नि ने एक दूसरे को माला पहनाकर, मिठाई खिलाई । माननीय मनोज कुमार श्रीवास्तव जी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय द्वारा श्रीमती रीता एवं श्री नरेश को पौधा देकर आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएं प्रदान की । इसी प्रकार अन्य मामले में श्री नरेन्द्र एवं श्रीमती आशा का भी राजीनामा हुआ तथा एक दूसरे को माला पहनाकर आगे के जीवन निर्वाहन के लिए खुशी - खुशी एक साथ रहने अपने घ्ा र गये । 

3. न्यायालय 18 वें, जिला न्यायाधीश, सचिन कुमार घोष जी के न्यायालय में हुआ सम्पत्ति के विवाद का निपटारा वादी सुरिंदर पाल सिंह सूरी द्वारा अपने दो भाइयों जसपाल सिंह सूरी और हरविंदर पाल सिंह सूरी के विरुद्ध 75 करोड़ के पैतृक संपत्ति के बँटवारे घ्ाो षणा एवं स्थाई निषेधाज्ञा के लिए प्रस्तुत किया गया था, जिसमें वादी द्वारा अपने 1  /3 अंश भाग, लगभग 25 करोड़ रुपये की संपत्ति के लिए न्यायालय से सहायता चाहिए गई थी। न्यायालय में उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता श्री ईनोश जॉर्ज एवं श्री आई.पी. शास्त्री के अथक प्रयासों से आपसी राजीनामा के आधार पर मामले का निराकरण लोक अदालत के माध्यम से किया गया ,जिसमें प्रतिवादी पक्ष द्वारा 1/3 भाग का हिस्सा (लगभग 25 करोड़ रूपये) वादी को दिया जाना और वादी द्वारा 11,22,000 रूपये प्रतिवादी हरविंदर पाल सिंह को दिया जाना आपसी सहमति से तय हुआ और उभय पक्ष ने आपसी विवाद को भुलाकर न्यायालय में एक दूसरे को गले लगाया।

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