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संस्कृत का उत्थान, राष्ट्र और भारतीय संस्कृति का उत्थान

भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संस्कृत का उत्थान राष्ट्र और भारतीय संस्कृति का उत्थान है। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जो उत्थान संस्कृत का होना था वह बाहरी लोगों के शासन के कारण देश में नहीं हो सका। संस्कृत का अनादर हुआ। हमारी संस्कृति जो वसुधैव कुटुम्बकम और सर्व कल्याण की बात कहती है, संस्कृत के श्लोकों में अभिव्यक्त हुई है। अब देश में सांस्कृतिक उत्थान के स्वर्ण युग का आरंभ हुआ है और हम माँ संस्कृत की सेवा कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन के सभा कक्ष से महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान से संबद्ध प्राच्य गुरूकुलों के लिए आर्थिक सहायता राशि अंतरित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों के विद्यार्थियों और प्राचार्यों के खातों में 2 करोड़ 30 लाख रुपए की सहायता राशि सिंगल क्लिक से अंतरित की।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संस्कृत शिक्षकों और संस्कृत के विद्यार्थियों को संस्कृत सप्ताह की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि- "यदि भारत की आत्मा को समझना है तो संस्कृत को समझना होगा। मैं भाग्यशाली हूँ जो मुझे संस्कृत के विकास और संवर्धन का अवसर मिला है। भारतीय साहित्य की विशेषताओं का रसास्वादन संस्कृत के माध्यम से ही लिया जा सकता है।" मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संस्कृत में कहा कि "समस्त-प्रदेशवासिनाम् एवञ्च देशवासिनां कृते संस्कृत सप्ताहस्य हार्दिकी शुभकामना।"

उल्लेखनीय है कि श्रावण मास की द्वादशी से भाद्र माह की तृतीया तक ( 27 अगस्त से 2 सितम्बर) संस्कृत सप्ताह में विभिन्न गतिविधियां हो रही हैं।

महर्षि पतंजलि संस्थान के अध्यक्ष श्री भरत बैरागी ने कहा कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रारंभ नवनिर्मित संस्कृत भवन पूरे देश में विशिष्ट है। अन्य राज्यों में संस्कृत भवन नहीं है। प्रदेश की संस्कृत पाठशालाएँ वैभव को प्राप्त करेंगी। यहाँ आवासीय विद्यालयों की व्यवस्थाएं भी बेहतर हैं। संस्कृत के संवर्धन के लिए देश में अन्यत्र इतना कार्य कहीं नहीं हुआ। योग आयोग के अध्यक्ष श्री वेद प्रकाश शर्मा और आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव उपस्थित थे।

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