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रुद्राभिषेक का फल भगवान शंकर प्रसन्न होकर तत्काल देते हैं: शास्त्री

बेगमगंज। शिवपुराण के रुद्र संहिता में सावन मास में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है। रुद्राभिषेक का फल भगवान शंकर प्रसन्न होकर तत्काल देते हैं। शिव पुराण की कथा कहती है कि सृष्टि का पहला रुद्राभिषेक भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने साथ मिलकर किया था।

शिव जी के रुद्राभिषेक का

उक्त बात टेकरी  स्थित महिला मोर्चा अध्यक्ष  राजकुमारी शाक्य के निवास पर भोलेनाथ की नई-नई प्रतिमा एवं शिवलिंग निर्माण कर उनका रुद्राभिषेक  कार्यक्रम में भागवतिचार्य पं. भूपेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कही। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होकर शिवलिंग का निर्माण कर धर्म लाभ अर्जित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि रुद्राभिषेक की पौराणिक कथा कहती है कि श्रेष्ठता के परीक्षण में भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव के आत्मलिंग के ऊपरी सिरे की खोज के लिए हंस बनकर यात्रा शुरू की तो भगवान विष्णु ने वराह बनकर आत्म लिंग के दक्षिणी सिरे को खेजने की यात्रा आरंभ की। थक कर जब दोनों को आत्म लिंग का कोई छोर नहीं मिला तो दोनों ने यात्रा रोक दी तब भगवान शिव ने कहा कि आप दोनों ही मेरे आत्म लिंग से ही उत्पन्न हुए हैं। सृष्टि की रचना और पालन के लिए ब्रह्मा जी मेरे दक्षिण अंग से और विष्णु जी मेरे वाम अंग से उत्पन्न हुए हैं। इसके बात को जानकर भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु दोनों ने साथ मिलकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया। 

रुद्राभिषेक से फायदा-

श्री शास्त्री ने बताया की रुद्राभिषेक मंत्र की शक्ति इतनी अधिक होती है कि जिस क्षेत्र में भी इसका जप किया जाता है, उससे कई किलोमीटर तक के हिस्से में शुद्धता आ जाती है और वहां की नकारात्मकता का अंत होता है। कहा तो ये भी जाता है कि पंचांग की शुभ तिथि पर रुद्राभिषेक किया जाता है तो इससे काफी फायदा होगा है।


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