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टिकट दो नहीं तो पार्टी छोड़ देंगे, ऐसे स्वार्थी जनता को क्या देंगे

टिकट के लिए पार्टी छोड़ने वालों और जो पार्टी मुफ़्त का लालच दे उसे जनता खुद नकार दे

मुफ़्तखोर ना बनो स्वाभिमानी बनो और जो रोज़गार व विकास कर सके उसे ही चुनो

मन्दसौर। चुनाव आते ही विधायक सांसद मंत्री बनने का सपना देखने वाले टिकट पाने के लिए तरह-तरह के चोचले करते है, अपनी दावेदारी मज़बूती से रखने के लिए खूब नौटंकी करते है, फिर भी टिकट नहीं मिलता देख पार्टी पर दबाव बनाते है, पार्टी विरोधी बयानबाजी करने लगते है और जब यह सब दूसरी पार्टी के नेता देखते है तो उसे टिकट देने का वादा कर पार्टी जॉइन करने का ऑफ़र देते है, इधर दाल नहीं गलने पर स्वार्थी नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी का दामन थाम लेते है। यानी उनका लक्ष्य विधायक सांसद मंत्री बनना होता है ना कि जनता की सेवा और क्षेत्र का विकास करने का कोई इरादा होता है। ऐसे स्वार्थी नेताओं को जनता खुद पटखनी दे दे क्योंकि जो अपनी पार्टी को धोखा दे सकता है वो जनता को भी धोखा देगा और खुद का खजाना भरेगा।

इसी तरह जो पार्टी चुनाव के समय मुफ़्त योजनाएं चलाने का ऐलान करे ऐसी पार्टियों को जनता सिरे से नकार दे क्योंकि मुफ्तखोर बनाकर वो आपको निकम्मा बना रहे है।

टिकट नहीं मिलता देख पाला बदलने लगे स्वार्थी नेता

राजनीति गंदी होती है ऐसा कहा जाता है लेकिन कितनी गंदी होती है यह चुनाव के समय देखने में आता है। चुनाव नज़दीक आते ही हम देख रहे है कि कई नेता पार्टी बदल रहे है, यानी टिकट ही उनका अंतिम लक्ष्य है वरना भाड़ में जाए पार्टी हम तो दूसरी पार्टी से टिकट ले लेंगे। आज इस पार्टी में कल उस पार्टी में फिर स्वार्थ नजर आए तो पुरानी पार्टी में वापस चले जाते है वो भी बड़ी ही बेशर्मी से इसके बाद भी जरा सी शर्म उन्हें नहीं आती। दल-बदलुओं को कभी टिकट का लालच दिया जाता है तो कभी सरकार बनने पर निगम अध्यक्ष या बड़े पदों का लालच दिया जाता है। ऐसे दल-बदलू गद्दारी की मिसाल कायम करते है और जनता को ऐसे स्वार्थी लोगों को सिर पर बैठाने की बजाए हार की माला पहनाकर घर बैठा देना चाहिए क्योंकि ऐसे ही लोगों के कारण राजनीति गन्दा नाला बन गई है, जनता ही इस गंदगी को साफ कर सकती है। 

जो मुफ़्त योजना का ऐलान करे उस पार्टी को नकार दे जनता

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपनी सरकार में पांच हॉर्स पॉवर तक की मोटर पर बिजली फ्री की थी एक बत्ती कनेक्शन दिया था, एक बत्ती कनेक्शन से लोगों ने एक बत्ती नहीं जलाई थी बल्कि कूलर फ़्रिज वाशिंग मशीन यहां तक कि हीटर तक चले थे जिसका नतीजा यह हुआ कि एमपी में भीषण बिजली संकट गहराया और लोगों ने उस संकट को भुगता है। राजस्थान में 100 यूनिट बिजली फ्री है और वहां हालत यह है कि अनाप शनाप हजारों के बिल थमाए जा रहे है, क्योंकि फ्री देकर सरकार उसकी वसूली भी जनता से ही करती है। इसलिए जो पार्टी बिजली राशन मोबाइल या कुछ भी फ्री देने की घोषणा करे उस पार्टी को जनता सिरे से नकार दे वरना आपसे ही सरकार बाद में अन्य तरीके से वसूल करेगी और आप कुछ नहीं कर सकोगे। राजस्थान सरकार ने महिलाओं को मुफ़्त मोबाइल बांटे है वो भी लाखों, चुनावी साल में राजस्थान सरकार तेल और मसाले तक मुफ्त दे रही है, अन्नपूर्णा योजना के तहत राशन मुफ़्त दे रही है। कोई भी चीज मुफ्त मिले तो किसी को बुरा नहीं लगता लेकिन उसका अंजाम क्या होगा यह भी जनता को सोचना चाहिए। मुफ़्त लेकर आप उन्हें सरकार में बैठा रहे है जो आपके स्वाभिमान को मुफ़्तख़ोरी की तराजू में तोलकर आपको निकम्मा बना रहे है, अरे इससे तो आप जनता को रोज़गार उपलब्ध कराओ ना ताकि वो काम धंधा नौकरी करे और स्वाभिमान से अपना जीवन जिये, क्या उन्हें भिखारी बनाकर मांगने की आदत डाल रहे हो। अगर देश में मुफ़्त योजनाएं बंद हो जाए तो करोड़ो रोजगार सरकार उस राशि से दे सकती है। 

जागो मतदाता जागो

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