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उन्मेष के तीसरे दिन 134 साहित्यकारों ने भारत की साहित्यिक विरासत पर किया मंथन

भोपाल। अंतरराष्ट्रीय  साहित्य उत्सव उन्मेष उत्कर्ष के तीसरे दिन शनिवार को 20 साहित्यिक कार्यक्रम और 12 राज्यो के लोक नृत्य प्रस्तुत किए गए। उन्मेष में 134 रचनाकारों ने अपनी रचनात्मक उपलब्धियों  को पाठकों से बांटा। भारत की साहित्यिक विरासत, भारत में कहानी सुनाने की परंपरा, स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारिता की भूमिका, फंतासी और विज्ञान कथा साहित्य, बाल साहित्य का अनुवाद और विदेशी भाषाओं में भारतीय साहित्य के प्रचार-प्रसार पर चर्चाएं की। प्रमुख साहित्यकार और कवि गण सर्व श्री रघुवीर चौधरी,नंद किशोर आचार्य, बद्री नारायण ,सुदीप सेन, हरीश त्रिवेदी ,अरुण कमल,दामोदर मावजो , केसरी लाल वर्मा, राम कुमार मुखोपाध्याय, निर्मल कांति भट्टाचार्य, तपन बंदोपाध्याय वीणा ठाकुर, यशोधरा मिश्र और  साधना शंकर आदि ने भागीदारी की।

फंतासी और विज्ञान कथा साहित्य का सत्र  साधना शंकर की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। सत्र में चित्रा दिवाकारूनी ने कहा कि फेंटेसी लेखन  हमें दैवीय शक्तियों से भी संवाद करने की स्वीकृति  देता है। जबकि सामान्य लेखन में यह संभव नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि  विज्ञान कल्पना के  कारण ही महाभारत और रामायण की भी दुनिया एक नए रूप में हम सबके सामने आ रही है।

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