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छठवे दिन भगवान कृष्ण की लीलाओं का गुणगान

बेगमगंज। शिवालय मंदिर मैं चल रही श्रीमद् भागवत गीता महापुराण ज्ञान गंगा यज्ञ मैं कथा में छठे दिन भगवान कृष्ण की लीलाओं का गुणगान किया। कथा व्यास भारती दीदी ने इंद्र का अहंकार, गोवर्धन पर्वत आदि की कथा से माध्यम से ज्ञान वर्षा की। गिरीराज की शरण में आजा, एक दिन वो भोला भंडारी बनकर ब्रज की नारी वृंदावन आ गए। भजनों पर श्रद्धालु नाचे। कथा वाचक ने कहा कि संसार रूपी भव सागर से पार उतरने के लिए संत रूपी जहाज का सहारा लेना चाहिए। क्योंकि भगवान पहले सच्चे संत की शरण में जो आता हैं, उसी का कल्याण करते है। कथा में उन्होंने साक्षात दर्शन के विषय पर भी श्रद्धालुओं को नया उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर हम कृष्ण पर विश्वास करने लगे तो वह केवल गोवर्धन उठाकर ब्रजवासियों की ही रक्षा नहीं हमारी भी रक्षा करने लगेंगे। 

कथा श्रवण करती महिलाएं

बीच-बीच में भजनों के माध्यम से लोगों को भक्ति रस में डूबा या कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा की श्री कृष्ण ने 156 करोड़ गोपियों के साथ महारास लीला शरद पूर्णिमा के दिन की थी। क्योंकि शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्ण सोलह कलाओं से युक्त होता है, इसीलिए श्रीकृष्ण ने महारास लीला के लिए इस रात्रि को चुना था। इस रात चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसता है और मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह रात्रि स्वास्थ्य व सकारात्मकता प्रदान करने वाली मानी जाती है।

उन्होंने बताया कि वासुदेव के भाई और चाचा अक्रूर कंस की सलाह पर बलराम और श्रीकृष्ण को वृंदावन से मथुरा ले जाते हैं और समय आने पर श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर मथुरा के लोगों को अत्याचारों से मुक्त कराया।

कथा श्रवण करने के लिए काफी तादाद में महिलाएं मंदिर परिसर में पहुंच रही हैं । भक्ति इतने अधिक पहुंच रहे हैं कि मंदिर के बाहर भी बैठकर कथा श्रवण कर रहे हैं।


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