नीमच। संयुक्त अफीम किसान मोर्चा संयोजक मंडल सदस्य शैलेंद्र सिंह ठाकुर एवं मांगीलाल मेघवाल ने कहा कि अफीम की खेती करने वाले किसानों की मांगों को लेकरसंयुक्त अफीम किसान मोर्चा के बैनर तले दो ज्ञापन सुपर गए एक ज्ञापन नारकोटिक्स कमिश्नर ग्वालियर के नाम डिप्टी नारकोटिक्स कमिश्नर कार्यालय नीमच पर आॅफिस प्रिंट बेन 10 संजय प्रसाद को सौंपा गया वही दूसरा ज्ञापन प्रधानमंत्री केंद्रीय वित्त मंत्री केंद्रीय वित्त एवं राजस्व मंत्री के नाम स्थानीय कलेक्टर कार्यालय में नायब तहसीलदार कविता कावड़े को सौंपा गया इसके पूर्व नारकोटिक्स कार्यालय के सामने स्थित बगीचे में हुई सभा को मांगीलाल मेघवाल मोहन सिंह जाट पुष्कर माली और शैलेंद्र सिंह ठाकुर ने संबोधित किया ज्ञापन में कहा गया है किभारत सरकार के केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा अफीम किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है एवं उनके उचित प्रतिनिधियों से बातचीत ना करके अन्य लोगों से बातचीत कर तमाम नीतियों का निर्धारण किया जाता है। जिससे अफीम की खेती कर रहे किसानों को बहुत सारी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। साथ ही भारत सरकार द्वारा अफीम के क्षेत्र में नई लागू सीपीएस पद्धति से अफीम की खेती कर रहे किसान संतुष्ट नहीं हैं। जैसा कि विदित है कि इस सेक्टर में अफीम प्रसंस्करण का कार्य प्राइवेट कंपनी को सौंप दिया गया है। इससे सीपीएस पद्धति से खेती कराने के संबंध में ठेका पद्धति एवं प्राइवेट कंपनियों से विदेश के तर्ज पर खेती कराने की आशंका प्रबल हो गई है। जिससे किसानों में असंतोष की स्थिति है। खेती अफीम की हो या अन्य, तमाम संसाधन महंगे होने की वजह से खेती करना महंगा हो गया है ।अफीम के मूल्य निर्धारण में उचित प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है। किंतु सरकार का ध्यान इस और बिल्कुल नहीं है। इसलिए इस इस ज्ञापान को प्रस्तुत किया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक किसानों की बातें वित्त मंत्रालय भारत सरकार तक आसानी से पहुंच सके। इन बातों को और इन समस्याओं को नई अफीम नीति बनने के पूर्व सरकार तक पहुंचाया जा सके। जिससे सरकार के समक्ष सही स्थिति पहुंचे और उन्हें उचित निर्णय लेने में आसानी हो। इन मांगों में के संबंध में संयुक्त अफीम किसान मोर्चा के इक्कीस सदस्य पदाधिकारी मंडल से अविलंब चर्चा की जाकर अफीम निती 20 23 -24 का निर्धारण किया जाए। इस मौके पर मांगीलाल मेघवाल, मोहन सिंह जाट, परनरसिंह दासवैरागी, कालूराम पाटीदार, भोपाल सिंह चौहान मुकेश नागदा, भेरूलाल जटिल, सुनील जी शर्मा, अशोक धाकड़ नितेश यादव,रामचंद्र डांगी, दौलत सिंह झाला, निर्भय राम आंजना, यश हिंगोनिया, रोशन लाल शर्मा बेगू, साहिल खान, बालु धाकड़ ,गुणवंत राठौड़, अंबालाल जाट, विष्णु राठौर, परसराम पाटीदार, बद्री लाल मेनारिया, संतोष अहीर भंवर सिंह राधेश्याम गुर्जर, दिनेश जोशी, शांति लाल रामचंद्र किशन धाकड़ धनराज मेघवाल सीता राम मेघवाल आदि थे।
अफीम किसानों की मांगे
1.1997-98 में काटे एवं इसके पूर्व 1980 से किसी भी कारण से कांटे सभी अफीम पट्टे बहाली की जाए। दूसरे शब्दों में अफीम खेती कर चुके सभी पुराने किसानों एवं अफीम की खेती करने के लिए इच्छुक नए किसानों को अफीम खेती करने के लाइसेंस दिया जाए। क्योंकि सरकार पोस्ता दाना टर्की से आयात करती है जिससे हमारे देश व किसान का आर्थिक नुकसान होता है। अफीम किसानों द्वारा उत्पादित पोस्ता दाना की कृषि उपज मंडियों में पोस्ता दाना की खरीदी एवं बिक्री सुनिश्चित की जाए।
2. सीपीएस पद्धति पर पुन: विचार किया जाए इसे समाप्त किया जाए । अधिकांश किसानों को परंपरागत तरीके से खेती करने हेतु लाइसेंस दिया जाए। डोडा चूरा के संबंध में स्पष्ट नीति अपनाते हुए 8/29 झूठे के केस में फसाये गए किसानों को रिहा किया जाए । तथा परंपरागत तरीके से की जा रही अफीम खेती तथा सीपीएस पद्धति के लोगों का उचित मूल्य निर्धारण किया जाए।
3. चिराई लुवाई से अफीम पैदा कर रहे उन सभी किसानों को अफीम का अंतरराष्ट्रीय मूल्य किसानों को दिया जाए और डोडा चूरा का ?2000 प्रति किलोग्राम का मूल्य किसान को दिया जाए। उसके बाद सरकार लूनाई चिराई से प्राप्त डोडा चूरा की दवाई या अन्य उत्पाद सरकार वैज्ञानिक विधि से बनाने के लिए रिसर्च करें।
4. अफीम पॉलिसी का निर्धारण नेता और अधिकारीयों से नहीं संयुक्त अफीम किसान मोर्चा किसान प्रतिनिधियों की सहभागिता से बनाई जाए।
5. अफीम एक औषधिय उत्पाद है जिसको निजी कंपनी के हाथ में जाने से हर हाल में रोका जाए। अफीम प्रोसेसिंग कार्य के लिए सरकार सरकारी क्षेत्र में नई अफीम फैक्ट्री नीमच और चित्तौड़गढ़ में स्थापित करके अंचल के लिए रोजगार पैदा करें। अफीम एवं सीपीएस प्रसंस्करण किसी भी स्थिति में निजी हाथों में नहीं दिया जाए। इस संबंध में प्रसंस्करण निजी हाथों में देने के लिए गए निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए लिखित आश्वस्त किया जाए की सीपीएस पद्धति किसी भी स्थिति में निजी कंपनियों को या ठेका पर कराने हेतु नहीं दी जाएगी। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के स्थान पर सरकारी क्षेत्र में अफीम प्रसंस्करण का कारखाना खोला जाए।