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राष्ट्रीय बिदत संगोष्ठी आयोजित

बेगमगंज। पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर हदाईपुर में उपशांत सागर महाराज के सानिध्य में चारित्र चक्रवर्ती आचार्य  शांति सागर  महराज श्री के आचार्य  पदारोहण एवं  शताब्दी वर्ष मानाने कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें बताया गया कि शान्ति सागर महराज ने  1915 सीसी मे आचार्य देवेन्द्र गिरी जी से  क्षुल्लक दीक्षा ली  वाद मे मुनि दिक्षा लीं उपसर्ग / ध्यान की उत्कृषटता, सर्प आकर गले मे कुन्न नुर की गुफा बना रहा, चींटियां चढ़ती रही खून की धारा लगी रही गुफा मे सामायक गुफा के वाहर शेर बैठा रहा।
जैन समाज कार्यक्रम

उत्तर भारत मे विहारा आदिनाथ भगवान के पुत्र पर भरत के नाम पर देश का नाम भारत पड़ा। कमण्डल की टोटी पीछे करके क्यों चलते हैं:-  टोटी मे जीव प्रवेश करके हिंसा ना हो जाए, उत्तर से दक्षिण तक जोड़ने वाले  महराज  शांति सागर  हुए शाति नाथ महराज की माता का नाम सत्यवती था अनेक गुणो से परिपूर्ण थी अपने जीवन मे 9938 उपवास किए। संलेखना:-36 दिन की रही सलंखेना मे 27 दिन  उपवास किए बाकी के दिन मे पानी लिया साम्य मूर्ति क्षमा वीरस्य भूषणम वसुदेव कुटुम कम की भावना कलयुग के भगवान आप हो जीवो के हितकारी,

बचपन से ही सत्य बोलते थे शास्त्र स्वाध्याय मुनि सेवा लघुता के भाव त्याग उपासना की भावना करुणा भाव वात्सल्य भाव जनकल्याण की भावना वेराग्य भाव हमेशा रहा । सागोड़  दामोदर शांति सागर जी के बचपन के महाराज के नाम थे,

शांति सागर  महराज का  माता पिता को अंतिम समय तक धर्म कराया समाथि मरण करवाया यम संलेखना प्रातः काल मे सुबह की वेला पिता  की समाधि से हुई, कन्या विक्रय पर रोक लगाई, शांति सागर महिला ई संरक्षण मे सहयोग किया

साधुओ को भारत मे स्वाघंद विचरण मे लिए लाल किले से उदबोधन किया, समत भैया  एवं बाहर से आए अतिथियों का सम्मान सकल दिगंबर जैन समाज ने किया जिसमें मुख्य रुप से समाज अध्यक्ष चक्रेश जैन, पूर्व अध्यक्ष राजकुमार जैन, नवीन जैन पड़रिया, विमल जैन पिपरिया, टिल्लू वाले रानू , हक्कू जैन, डब्बू जैन, अमन जैन, समस्त जैन समाज ने किया।


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