मुरैना/कैलारस। बाबा सेकड़ो वर्ष पूर्व एका एक अलोप हो गये इस कारण अलोपी नाम पड़ा उस स्थान पर शिवलिंग निकले है उनकी पूजा होती है। इतनी ऊंचाई पर होने के बाबजूद भी आस्था रहती है अलोपी शंकर की पहाड़ियां की जो भक्त मन से जाता है वो 560 सीढ़िया आराम से चढ़ जाता है और अपनी मनोकामना को पूरा करता है । श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को हजारों श्रद्धालु पहुचते है शासन प्रशासन ने भी मंदिर में खूब मदद रही।
मंदिर की विशेषता सेकड़ो वर्ष पूर्व लाखा बंजारा नाम का व्यक्ति कैलारस में निवाश करता था जो शक्कर की बोरी ले जा रहा था बाबा ने पूछा किया है इस कट्टे में वह बोला नमक है बाबा ने कहा नमक ही बन जा घर पहुचकर देखा तो नमक ही निकला ।। वह भागता भागता बाबा के यहाँ पहुँचा बाबा मेने झूठ बोला था उसमें शक्कर थी तो जा शक्कर बन गई बस सारे काम छोड़ कर बाबा की सेवा में लग गया। और उसी ने मंदिर की शुरूबात की नीचे से पानी एव माल ले जाकर मंदिर बनवाया तव सीडी नही थी।।
कैलारस पहाड़िया पर स्थित सेकडी वर्ष पुराना अलोपी शंकर मन्दिर क्षेत्र के लोगो की आस्था का केंद्र है क्षेत्र के साथ साथ जिले भर से व अन्य प्रांतों से श्रदालु यहां अपनी मन्नत मांगने आते है श्रावण माह में यहां श्रदालुओ की भारी भीड़ रहती है लोग यहां शिवजी का अभिषेक करते है यहाँ वर्षो से अखण्ड रामायण पाठ व अखण्ड दीपक अनवरत चल रहा है इस मंदिर पर पहुचने के लिए 560 सीढ़िया चढ़कर मन्दिर पहुचा जाता है यहाँ पर श्रवण मास में कावड़ भी चढ़ती है सेकड़ो वर्ष पूर्व महान तपस्वी बाबा बौद्ध गिरी ने तपस्या की ओर यही लोप हो गए और जहाँ लोप हुए वहाँ पिंडी निकल आयी तभी से इस स्थान का नाम अलोपी शंकर पड़ गया।
इस बार श्रावण मास 2 महीने का होने के कारण आज श्रावण मास से पहले ही सोमवार को भक्तों का श्रद्धालुओं का मन्दिर पर जाना हो गया। अलोपी शंकर पर महिलाऐं बच्चे बुजुर्ग पांचामृत से बाबा का अभिषेक करते है और अपनी अपनी मनोकामनाऐं पूर्ण करने के लिये देवस्थान अलोपी शंकर की पहाडी़ पर पहुंचते है कांवडियों के व्दारा हरिव्दार व अन्य जगहों से जल लाकर बाबा का अभिषेक करते हैं इस बार 4 जुलाई से चालू हो रहा श्रावण मास 30 अगस्त तक चलेगा।