भोपाल। भूमिका नाट्य संस्था द्वारा 31/07/2023 को प्रेमचंद परिसर, लालघाटी, भोपाल एवं कोपल पब्लिक स्कूल, बरखेड़ी कलां, नीलबड़ रोड, भोपाल, दोनों ही जगह प्रेमचंद जयंती के अवसर पर मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफन का मंचन किया गया, जिसका नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी गोपाल दुबे ने किया है।
कहानी की शुरुआत होती है घीसू (पिता - रंजीत ठाकुर) और माधव (बेटा - यशोवर्धन शर्मा) से, जो एक आलू सेक रहे हैं, दोनों उस आलू को कहीं से उखाड़ कर लाये हैं और भूख से उनकी हालत खराब हो रही है, माधव की पत्नी बुधिया, जो अंदर के कमरे में प्रसव वेदना से पछाड़ खा रही है, दोनों बाप बेटे भूख से हालत खराब होने से जल्दी जल्दी आलू सेक कर खा लेते हैं जैसे सालों से भूखे हों, और पानी पी कर वहीं सो जाते हैं, सुबह माधव को कौए की आवाज़ सुनाई देती है जो अंदर के कमरे से आ रही है,जब माधव अंदर जाकर देखता है तो उसकी स्त्री मर चुकी है, और उस पर मक्खियां भिनक रही हैं तथा कौए बैठ रहे हैं, माधव रोता हुआ घीसू के पास आता है और घीसू को बताता है जब घीसू बुधिया को देखता है तो वो भी जोर ज़ोर से रोने लगता है, दोनों को कुछ समझ नही आता, और परेशान होकर गांव के ज़मीदार ठाकुर (उद्देश्य) के पास जाते हैं, और गिड़गिड़ा कर उससे मदद मांगते हैं, घीसू और माधव पहले से ही गाँव मे बदनाम हैं ये बात ठाकुर जनता है और न चाहते हुए भी मज़बूरी को सामने रख कर वह घीसू माधव की दो रुपये देकर मदद कर देता है, ठाकुर द्वारा दो रुपये का बखान करके घीसू भीख मांग कर पांच रुपये की अच्छी रकम जमा कर लेता है पर पैसे जमा होने के बाद घीसू अपना खुरापाती दिमाग चलता है और माधव के साथ शराब खाने पर जाकर दोनों शराब पीते हैं, तली हुई मछलियां खाते हैं, और नशे में माधव द्वारा पूछे जाने पर की अब बुधिया का अंतिम संस्कार कैसे होगा, तो घीसू कहता है, वो गांव वाले ही करेंगे पर पैसे इस बार हमारे हाथ नही आएंगे, दोनों बचा हुआ खाना एक भिखारी को देते हैं और उससे आशीर्वाद लेते हैं,
अपनी उम्र के अनुरूप घीसू ज्यादा समझदार है। उसे मालूम है कि लोग कफन की व्यवस्था करेंगे-भले ही इस बार रूपया उनके हाथ में न आवे.नशे की हालत में माधव जब पत्नी के अथाह दुःख भोगने की सोचकर रोने लगता है तो घीसू उसे चुप कराता है-हमारे परंपरागत ज्ञान के सहारे कि मर कर वह मुक्त हो गयी है। और इस जंजाल से छूट गयी है। नशे में नाचते-गाते, उछलते-कूदते, सभी ओर से बेखबर और मदमस्त, वे वहीं गिर कर ढेर हो जाते हैं।
घीसू और माधव असुरक्षित मनोवृत्ति को लेकर जी रहे हैं और मानते है कि उनके सर पर छत नही है...
मंच पर -
घीसू - रंजीत ठाकुर
माधव - यशोवर्धन शर्मा
ठाकुर - उद्देश्य
बुधिया - अंजू चंद्रवंशी
भिकारी - आशीर्वाद झा
मच परे -
(मंच प्रकाश) -जितेन्द्र परमार, अनुराग कटारे
(रूप सज्जा)- अंजू चंद्रवंशी, मनाली मैना
(मंच सज्जा)- हार्दिक धकिते, हर्षित शर्मा
(मंच सामग्री)- सचिन जाट, आशीर्वाद झा
(प्रचार प्रसार) - उद्देश्य, शिव रघुवंशी
निर्देशन एवं नाट्य रूपांतरण :- गोपाल दुबे