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हाफिज नजमुल हसन को चौथी बरसी पर शिद्दत से किया याद

बेगमगंज। बिछड़े तो इस अदा से के रुत ही बदल गई, एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया। अमली लाइन से अपनी एक अलग पहचान रखने वाले साबिक अमीरे जमाअत  मरहूम हाजी मक़बूल हसन वकील साहब रह. के मझले बेटे  मरहूम हाफिज़ सैयद नजमुल हसन  उर्फ नब्बू मियाँ रह. 11 जुलाई 2019 को इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए।  चार साल का अरसा हो गया लेकिन ऐसा महसूस ही नहीं होता कि वह हम सब से कहीं दूर चले गए हैं।

स्वर्गीय हाफिज नजमुल हसन

उक्त बात उनकी चौथी बरसी पर पूर्व पार्षद शारिक शाह खान ने कहते हुए उनके द्वारा सभी धर्मों के लोगों के लिए रूहानी ताकत के जरिए लाभ पहुंचाने की बेमिसाल कुर्बानी का जिक्र करते हुए लोगों के दिलों पर जो अमिट छाप छोड़ी है वह आज भी जिंदा है और लोग आपको याद करते हैं।

समाजसेवी एहफाज सौदागर ने उनके द्वारा दरबार लगाकर निशुल्क लोगों की सेवा करने के अजीम काम को याद करते हुए कहा कि अब ऐसा कोई दरबार शहर में नहीं लगता जहां से लोग फैज हासिल कर सकें। समाजसेवी राजेश जैन इंदौरी ने उनके द्वारा लोगों को विभिन्न बाधाओं से मुक्ति दिलाने की सरल सहज पद्धति को याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

बाबू खान खानपुर वालों  ने अपने उद्बोधन में उनके पिता के बाद उनके द्वारा उनके स्थान पर आम जनता के लिए किए जाने वाले परोपकारी कार्यों का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि खुली नज़रो से तुम दूर हो बहुत मुझसे, बंद आँखों में हर जगह मेरे पास ही हो तुम।

इस अवसर पर उनके अकीदतमंदों, सहित विभिन्न समाजों के लोगों ने शिद्दत के साथ याद करते हुए खिराजे अकीदत पेश की। और मालिक से दुआ प्रार्थना की कि उनका बदल अता फरमाए। ताकि लोग फिर से फैजयाब हो सके।


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