बेगमगंज। शहर के शिवालय मंदिर में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के अंतिम दिन महा आरती का आयोजन किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे। कथा वाचक भारती दीदी ने कथा के दौरान परीक्षित मोक्ष, सुदामा चरित्र का मनोरम ढंग से वर्णन किया। सुदामा चरित्र का वर्णन अत्यंत मार्मिक और भावपूर्ण ढंग से किया गया। जिससे उपस्थित श्रद्धालु भावुक हो गए। सुदामा चरित्र के माध्यम से लोगों को निःस्वार्थ भाव से मित्रता निभाने का संदेश दिया गया। कथा वाचक ने कहा कि श्रीमद् भागवत संपूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष है। भागवत कथा को सुनने से जन्म-मृत्यु के भय का नाश होता है। यह ग्रंथ भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है। यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का यह प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तथा से त्याग की प्राप्ति होती। भगवान कृष्ण की लोक मानस को गौ पालन की प्रेरणा के संदेश के परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि गौ दुग्ध, दही, मक्खन शरीर बुद्धि को पुष्ट करते हैं, जिसके बल पर ही भगवान श्रीकृष्ण शत्रुओं का संहार करने में सफल रहे।
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भागवत कथा के समापन पर भंडारा आयोजित |
उन्होंने कहा कि भगवान अपने भक्तों को कभी नहीं छोड़ते। जैसे ही भगवान को उनके द्वारपाल ने बताया कि महल के बाहर एक ब्राह्मण आया है और अपना नाम सुदामा बता रहा है, तो भगवान खुद भाव विह्वल हो गए। उन्होंने यह भी नहीं देखा कि खड़ाऊं कहां है। वह नंगे पैर ही सुदामा से मिलने के लिए दौड़ पड़े और उन्हें महल के अंदर लाकर सिंहासन पर बैठा दिया। कथा के दौरान उन्होंने 24 गुरुओं की प्रसंग पर भी गंभीरता से प्रकाश डाला। कथा के अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। वहीं रविवार को विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमे श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा मुख्य यजमान कुलदीप
श्रीवास उनकी मित्र मण्डली रजनीश ताम्रकार, राजीव नेमा, ओमकार साहू, शैलेष ताम्रकार, सतीश ताम्रकार, राजू साहू, संतोष साहू, राकेश सोनी, अंकेश सोनी, विष्णु महाराज, सोनू श्रीवास, मोहित श्रीवास, आदि ने व्यवस्थाएं संभाली और सात दिवस तक आयोजित
भागवत कथा को सफल बनाने में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से पुलिस, नगर पालिका प्रशाशन, सभी क्षेत्र वासियो आदि का मुख्य यजमान कुलदीप श्रीवास ने व्यक्त किया।