बेगमगंज। मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों हुई अच्छी बारिश के बाद खरीफ की फसल की बुआई का कार्य किसानों ने शुरू कर दिया है। इसके चलते खाद बीज- विक्रेताओं की दुकानों पर किसानों की खासी चहल पहल देखी जा रही है। खरीफ फसल की बुआई का अनुकूल समय 15 जून से 15 जुलाई तक माना जाता है। समय पर बारिश होने के कारण तहसील के किसानों में खुशी देखी जा रही है। खेतों में किसान हल-बैल के साथ साथ ट्रैक्टरों द्वारा जुताई कर बीज की बुआई कर रहे हैं। समय से पहले हुई बरसात किसान की फसल के लिए वरदान साबित हो सकती है। किसानों का कहना है कि बारिश समय पर हुई है। समय पर बारिश होने के बाद धान, मक्का, उड़द, तिल, अरहर की बुआई की शुरुआत कर दी गई है। साथी अनेकों किसान सोयाबीन की बुवाई भी कर रहे हैं। पहले के मुकाबले सोयाबीन का रकबा घटा है।हालांकि किसानों का कहना है कि खाद बीज और कीटनाशक बहुत मंहगे बाजार से खरीदना पड़ रहा है। कृषि विभाग द्वारा प्राप्त होने वाले सुविधा किसानों को नहीं मिल पा रही है किसान सौरभ शर्मा, अजहर पटेल, संजय पटेल, गोविंद गौर, प्रदीप दुबे, इस्माइल खान, जाहर सिंह लोधी, पृथ्वी सिंह, सौरभ यादव, सुरेंद्र कुशवाहा, रफीक मंसूरी आदि ने कहा कि पहली बारिश अच्छी होने से खेतों की तह तक नमी पहुंच गई है। नमी ठीक होने पर पौधा स्वस्थ और समय पर अंकुरित हो सकेगा।
किसान जुताई और बोवनी में जुटा |
वर्षा की अनियमितता से बचने के लिए करें यह उपाय:- कृषि एसडीओ जेपी शर्मा का कहना है कि विगत कुछ वर्षों से फसल में सूखा, अतिवृष्टि या असामयिक वर्षा जैसी घटनाएँ देखी जा रही हैं, ऐसी विपरीत परिस्थितियों में फसल को बचाने हेतु सलाह हैं कि सोयाबीन की बोवनी के लिए बीबीएफ (चौड़ी क्यारी प्रणाली) या (रिज-फरो पद्धति) कूड-मेड-प्रणाली का चयन करें तथा सम्बंधित यंत्र या उपकरणों का प्रबंध करें। उपलब्धता अनुसार अपने खेत में विपरीत दिशाओं में 10 मीटर के अंतराल पर सब सोइलेर नमक यंत्र को चलाना चाहिए, जिससे भूमि की जल धारण क्षमता में वृद्धि होगी एवं सूखे की अनपेक्षित स्थिति में फसल को अधिक दिन तक बचाने में सहायता मिलेगी।