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स्कूल में 12वीं के स्टूडेंट की हार्ट अटैक से मौत, प्रेयर के समय बेहोश होकर गिरा; परिवार ने नेत्रदान किया

छतरपुर (मध्यप्रदेश)एक दिन पहले

सार्थक टिकरिया की हार्ट अटैक से मौत हो गई। 

सार्थक टिकरिया की हार्ट अटैक से मौत हो गई।

छतरपुर। के डीसेंट स्कूल में क्लास के पहले दिन 12वीं कक्षा के छात्र को अचानक हार्ट अटैक आ गया। स्कूल में प्रार्थना के दौरान वह बेहोश होकर गिर गया। उसे सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दिया गया। होश नहीं आने पर उसे अस्पताल ले जाया गया। यहां डॉक्टरों ने चेक कर उसे मृत बता दिया।

जानकारी के अनुसार छात्र सार्थक टिकरिया (17) था। रोजाना की तरह सोमवार को भी सुबह 6 बजे उठा। तैयार होकर स्कूल चला गया। स्कूल में करीब साढ़े सात बजे जब सभी बच्चे प्रार्थना के लिए लाइन में खड़े थे। वह अचानक बेहोश होकर जमीन पर गिर गया। स्कूल स्टाफ ने उसे सीपीआर देने का प्रयास किया और परिजन को सूचना दी। जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ.अरविंद सिंह ने मौत की पुष्टि करते हुए परिवार को बताया कि बच्चे को कार्डियक अरेस्ट आया है। परिवार ने बेटे का नेत्रदान किया है।

सार्थक के पिता आलोक टिकरिया नामी बिजनेसमैन हैं। सार्थक तीन भाई बहनों में सबसे छोटा था। बड़ा भाई भुवनेश्वर और बहन नोएडा में पढ़ रहे हैं। सार्थक का अंतिम संस्कार भाई, बहन और परिजनों के आने के बाद आज सिंघाड़ी नदी स्थित मुक्तिधाम पर किया जाएगा।

सार्थक के पिता आलोक टिकरिया ने बेटे की आंखें दान की हैं।

सार्थक के पिता आलोक टिकरिया ने बेटे की आंखें दान की हैं।

परिवार ने किया बेटे का नेत्रदान

सार्थक के पिता आलोक टिकरिया ने बेटे की स्मृतियों को बचाने के लिए उसके नेत्रदान का फैसला लिया। सद्गुरू नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट की टीम को सूचित किया गया। मेडिकल टीम सोमवार दोपहर 3 बजे छतरपुर पहुंची और सर्जरी कर आंखें निकाली गई।

डॉक्टर बोले - यह दुर्लभ घटना

डॉ.अरविंद सिंह का कहना है कि आमतौर पर ऐसी घटनाएं सामने नहीं आती हैं। यह दुर्लभ कार्डियक अरेस्ट का मामला है। कई बार जेनेटिक कारणों से भी ऐसा होता है। इन मामलों में हृदय की गति अचानक बढ़ जाती है, जिससे दिल काम करना बंद कर देता है और व्यक्ति बेहोश हो जाता है। ऐसी घटनाओं में बचाव के लिए सिर्फ 10 मिनट का समय मिलता है। यदि इस दौरान मरीज की छाती पर तेजी से सीपीआर (दबाव) किया जाए तो कुछ और समय मरीज को मिल जाता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में मरीज की जान बचाना बेहद कठिन होता है। कम उम्र के लोगों में अटैक के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन कोरोना से इसका कोई संबंध है या नहीं इस बात की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है।

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