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वेतनमान विसंगति का निराकरण करने की मांग

भोपाल। प्रदेश के शासकीय आयुष महाविद्यालयों में स्वशासी  शिक्षकों का वेतनमान प्रदेश के अन्य चिकित्सा शिक्षा जैसे एलोपैथिक, पशु चिकित्सा, दंत चिकित्सा आदि महाविद्यालयों  तथा अन्य प्रदेशों के आयुष शिक्षकों की तुलना में बहुत कम है जैसे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र , राजस्थान आदि। वर्ष  2016 में प्रदेश के आयुष महाविद्यालय के प्राचार्य पद का   वेतनमान पुनरीक्षित कर उन्हें भी उच्चतम वेतनमान दिया जा रहा है।

जबकि प्रदेश के आयुष महाविद्यालय के  शिक्षक संवर्ग का फीडिंग कैडर अस्सिटेंट प्रोफेसर (व्याख्याता) है अतः इसी  क्रम अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर , एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर  सभी कैडर के शिक्षकों को समय बद्ध (टाइम बाउंड पे स्केल) प्रदाय किया जाना चाहिए।

आयुष विभाग के   मेडिकल ऑफिसर पद के लिए न्यूनतम  शैक्षणिक अर्हता स्नातक है जबकि शिक्षक संवर्ग के फीडिंग कैडर अर्थात व्याख्याता के  पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता स्नातकोत्तर है ।

फिर भी दोनों कैडर की पे स्केल समान है । एवम मेडिकल ऑफिसर को व्याख्याता के समकक्ष वेतनमान दिया जा रहा है। यह भी शिक्षकों के साथ एक विसंगति है।।इसी तरह आयुष चिकित्सक के विशेषज्ञ पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता व्याख्याता के समान अर्थात स्नातकोत्तर है,जबकि विशेषज्ञ को वेतनमान आयुष शिक्षकों से अधिक है।यदि आयुष शिक्षकों 

इस वेतनमान पुनरीक्षण किया। जाता है तो इस में कुल आर्थिक व्यय लगभग 10 करोड़ अनुमानित है।

आयुष शिक्षकों के प्रदेश स्तरीय संगठन ने वेतन विसंगति का निराकरण कर  आयुष शिक्षकों को भी उनकी योग्यता एवं अनुभव अनुसार उच्चतम स्तर का वेतनमान प्रदान करने की मांग शासन से रखी है।

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