बेगमगंज। इस बार सावन पहले 13 दिन यानी 4 जुलाई से 17 जुलाई तक चलेगा. इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास मलमास रहेगा। इसके बाद 17 अगस्त को फिर से सावन शुरू हो जाएगा. यानी दो चरणों में सावन का महीना मनाया जाएगा।
पंडित कमलेश शास्त्री |
पं.कमलेश कृष्ण शास्त्री ने बताया शिव भक्तों को सावन के महीने का इंतजार रहता है। सावन में पूरे एक महीने भक्त महादेव की भक्ती में लीन रहते हैं। प्रसिद्ध शिव मंदिरों में इस पावन महीने में खास व्यवस्था और तैयारियां की जाती हैं,
जहां दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ को जल चढ़ाने पहुंचते हैं। इस बार भगवान नीलकंठ को प्रसन्न करने के लिए भक्तों को दो महीने का समय मिलेगा। दरअसल, इस साल सावन का महीना एक नहीं बल्कि दो महीने तक का होगा। कहा जा रहा है कि ऐसा दुर्लभ संयोग करीब 19 साल बाद बना है, जब सावन 30 नहीं बल्कि 59 दिनों का होगा। वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्रमास के आधार पर की जाती है।
वर्ष पंचांगों में एक चन्द्र मास की वृद्धि कर दी जाती है। लोकव्यवहार में इसी को 'अधिक मास' के अतिरिक्त 'अधि-मास', 'मलमास' तथा आध्यात्मिक विषयों में अत्यन्त पुण्यदायी होने के कारण 'पुरुषोत्तम मास' आदि नामों से भी विख्यात है।
एक सौरवर्ष का मान 365 दिन, 6 घण्टे एवं 11 सैकिण्ड के लगभग है, जबकि चान्द्र वर्ष 354 दिन, एवं लगभग 9 घण्टे का होता है। दोनों वर्षमानों में प्रतिवर्ष 10 दिन, 21 घण्टे 9 मिन्ट का अन्तर अर्थात् लगभग 11 दिन का अन्तर पड़ श्रावण अधिक जाता है।
पुरुषोत्तम मास का माहात्म्य एवं कर्त्तव्य
इस मास की मलमास की दृष्टि से जैसे निन्दा है, पुरुषोत्तम मास की दृष्टि से इसकी प्राकृतिक बड़ी महिमा है। अधिमास ने तपस्या कर भगवान् विष्णु से उनका 'पुरुषोत्तमनाम' गोचरव प्राप्त किया था। भगवान् कृष्ण ने इसको अपना नाम देकर कहा-सद्गुणों, कीर्ति, प्रभाव, पराक्रम, भक्तों को वरदान देने आदि जितने भी गुण मुझमें हैं और उनसे जिस सभी यू प्रकार मैं विश्व में के नाम से हूँ, उसी प्रकार यह मलमास भी भूतल रहेंगी। पर 'पुरुषोत्तम' नाम से प्रसिद्ध होगा-अधिक मास के आने पर जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति पूर्वक व्रत उपवास श्री विष्णु पूजन पाठ दान आदि सुखराम करता है वह मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है।