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सजीव महेश्वरी हत्याकांड के शूटर विजय यादव ने किया सनसनीखेज खुलासा, दाड़ी नोचने और कॉलर पकड़े के कारण गैंगस्टर जीवा को गोलियों से भूंजा


लखनऊ। कोर्ट में गैंगस्टर संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या के आरोपी विजस यादव ने पुलिस की पूछताछ में कई खुलासे किए हैं। शूटर ने पुलिस को बताया है कि, उसने हत्याकांड माफिया अतीफ के दोस्त अशरफ के कहने पर की है। अशरफ ने जीवा के मारने को लेकर 20 लाख रूपए की सुपारी उसे दी थी। आरोपी ने बताया है कि, वारदात में इस्तेमाल पिस्टल उसे राजधानी में मुहैया कराई गई थी। जीवा ने जेल में बंद अतीफ की दाड़ी और कॉलर पकड़ी थी, जिसके कारण उसके दोस्त अशरफ ने मर्डर कर प्लान बनाया था और काम की जिम्मेदारी मुझे सौंपी थी।

जीवा हत्याकांड के शूटर विजय ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि संजीव जीवा को मारने की डील नेपाल में हुई थी। इसके लिए माफिया अशरफ ने उसे बड़ी रकम भी देने की बात कही थी। कुछ पैसे अशरफ ने एडवांस में भी दिए थे। वहीं, बची हुई रकम जीवा की हत्या के बाद मिलने थे। हत्यारोपी के बयान ने पुलिस को उलझा दिया है। फिलहाल जांच टीमें मामले में हर एंगल से जांच-पड़ताल कर रही हैं। आरोपी ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि, जीवा ने जेल में रहने के दौरान अतीफ  की दाड़ी के अलावा कॉलर पकड़ी थी। अतीफ के दोस्त अशरफ के कहने पर मैंने जीवा की हत्या कर दी।

विजय यादव ने बताया कि कुछ दिन पहले वह नेपाल के काठमांडू गया था। वहां उसने माफिया अतीक अहमद के दोस्त अशरफ से मुलाकात की। अशरफ ने उसे बताया कि उसका दोस्त अतीफ लखनऊ जेल में है। वहां जीवा उसे परेशान करता है। कुछ दिन पहले जीवा ने उसकी दाढ़ी नोच ली थी। कई बार बेइज्ज्ती की इसलिए वह उसकी हत्या कराना चाहता है। जीवा को रास्ते से हटाने के लिए उसे 20 लाख रुपये देने की बात कही। बड़ी रकम मिलने के लालच में विजय ने सुपारी उठा ली। काम से पहले विजय को 5000 रुपये और रिवॉल्वर दी गई।

नेपाल से लौटकर लखनऊ पहुंचने पर अशरफ के गुर्गे ने विजय को पनाह दी और रेकी कराई। प्लान के अनुसार, बुधवार को जीवा की कोर्ट परिसर के अंदर हत्या कर दी गई। हालांकि एसआईटी टीम आरोपी के जवाबों को बहुत सही नहीं मान रही है, लेकिन उसके आधार पर जांच में बयान को भी शामिल कर लिया है.। दरअसल, विजय के जवाब को पुलिस टीम नकार नहीं सकती है इसलिए जांच टीम ने उसके बयान के आधार पर अशरफ और उसके दोस्त की कुंडली खंगालना शुरू कर दी है। एसआईटी विजय और जीवा का कनेक्शन तलाश कर रही है, जिससे पता चल सके कि आखिर शूटआउट की मुख्य वजह क्या थी।

संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर निवासी था। जीवा के पिता का नाम ओम प्रकाश माहेश्वरी और माता का नाम कुंती माहेश्वरी है। जीवा ने पायल नाम की युवती से शादी की थी। दोनों के तीन बेटे और एक बेटी है।  जीवा की पत्नी पायल महेश्वरी ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर से आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार मिली थी। पुलिस ने एक मामले पर जीवा की पत्नी पर मुकदमा दर्ज किया था। संजीव जीवा के खिलाफ 24 मामले दर्ज हुए थे। 17 मामलों में उसे बरी कर दिया गया था।

90 के दशक में यूपी के मुजफ्फरनगर में ’शंकर दवाखाना’ नामक दुकान पर जीवा कंपाउंडर के रूप में काम करता था। यह दवाखाना शराब छुड़ाने का दावा करता था। दवाखाने पर आने वाले लोग कंपाउंडर जीवा को डॉक्टर कहकर बुलाते थे। उन दिनों किसी आदमी से पैसे वापस न मिलने पर दवाखाने का मालिक परेशान था। मालिक ने जीवा से पैसे लाने के सूरत में उसे इनाम देने की पेशकश की। जीवा पैसे वापस ले आया और मालिक ने उसे इनाम दिया। बाद में दवाखाने के मालिक का अपहण हुआ तो उसका आरोप जीवा पर ही लगा था। कहा जाता है कि मालिक के अपहरण से जीवा के मुंह में अपराध की दुनिया का खून लग चुका था। 90 के दशक में जीवा ने कोलकाता के एक व्यापारी के बेटे का अपहरण करने के बाद करोड़ रुपये लिए थे।

लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट में बुधवार दोपहर पेशी पर आए बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (48) की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जीवा मुख्तार अंसारी गैंग का शूटर था। हमलावर वकील की ड्रेस में आया था। उसने दोपहर 3.50 बजे 9 एमएम की पिस्टल से कोर्ट रूम में ही 5-6 राउंड फायरिंग की। हमले में जीवा की मौके पर ही मौत हो गई। फायरिंग में एक बच्ची, उसकी मां और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। वारदात के बाद मौके से भाग रहे हमलावर को वकीलों ने पकड़ लिया। उसकी पिटाई की। पुलिस ने किसी तरह उसे छुड़ाया। हमलावर का नाम विजय उर्फ आनंद यादव है। वह जौनपुर का रहने वाला है। उस पर आजमगढ़ और जौनपुर में केस दर्ज हैं।

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