Type Here to Get Search Results !

240 वर्षों के बाद राजशाही खत्म हुई और 13000 नेपालियों की हत्या के जिम्मेदार माओवादी नेता को बनाया गया प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। 28 मई 2008 को नेपाल में 246 वर्षों से चली आ रही हिंदू राजशाही का अंत कर माओवादी सत्ता की स्थापना की गई थी। इसी दिन नेपाल के माओवादी दल को चुनाव में जीत मिली और तत्कालीन नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र को अपदस्थ कर पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' नेपाल के प्रधानमंत्री बने। लगभग 1 दशक से अधिक समय तक चले गृह युद्ध के बाद देश में शाह राजवंश के हाथों से सत्ता छीन ली गई और माओवादी सत्ता देश की राजनीति में मुख्यधारा बनकर उभरी।

भारतीय उपमहाद्वीप में जहां-जहां कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की गई वहां इस बात का विशेष ध्यान रखा गया था कि यह सभी कम्युनिस्ट पार्टियां पहले सोवियत संघ और बाद में चीन के कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन करते रहेंगे। जिस तरह से नेपाल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तानाशाह माओ जे़डोंग के निशाने में पहले से था, इसीलिए नेपाल में माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की गई और उसका मुख्य कारण नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना था। नेपाल भारत और तिब्बत के बीच एक सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देश है। तिब्बत में चीन के द्वारा कब्जा करने के बाद भारत और चीन के कब्जे वाले तिब्बत क्षेत्र के बीच नेपाल एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में उभरा है।

ऐसे में नेपाल में किया जाने वाला कोई सा भी कदम भारत के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव लेकर आ सकता है। यही कारण है कि चीन लगातार नेपाल में माओवादियों को समर्थन देकर गृह युद्ध की स्थिति बनाए रख वहां पर हजारों नेपाली लोगों को बेमौत मरने को मजबूर किया।

नेपाल की माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने माओ जे़डोंग से प्रभावित होकर चीन के समर्थन में नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी। हालांकि कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि प्रचंड का यह राजनीतिक कदम पेरू के शाइनिंगपाथ आंदोलन से प्रेरित था। और इसी की नकल कर नेपाल में माओवादी आंदोलन को प्रचंडपाथ कहा गया। वर्ष 1996 में नेपाली में गृह युद्ध अपने चरम पर था इस दौरान नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के सशक्त रंग और जग मुक्ति सेना के शीर्ष नेता प्रचंड के नेतृत्व में 13000 नेपालियों की हत्या की गई थी।

प्रचंड माओ के उसी सिद्धांत पर काम करते हैं जिसमें पहला सिद्धांत है राजनीतिक सत्ता बंदूक की नली से निकलती है और दूसरा सिद्धांत है रक्त पास से दूर युद्ध है और युद्ध रक्तपात युक्त राजनीति। माओवादियों द्वारा नेपाल में कई व्यवधान उत्पन्न किए गए जो भारत के लिए भी खतरा बनते गए। दरअसल पहले यह योजना बनाई गई थी कि चुनाव होगा और जिस संसद को नेपाल की जनता चुने की वही संविधान को भी लिखेगा।

मई 2010 तक यदि नेपाल का संविधान तैयार हो जाता तो 6 महीने में चुनाव होते और नेपाल पूर्ण रूप से लोकतंत्र बन जाता लेकिन यह बहुत मुश्किल था और इसका कारण माओवादियों द्वारा लगातार व्यवधान उत्पन्न करना था। माओवादियों ने तो यह तक मांग कर दी थी कि उनकी आतंकी सेना को नेपाल की सेना में शामिल किया जाए। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल ने एक बार यह स्वीकार किया था कि बहुत से माओवादियों में एकाधिपत्य की प्रवृत्ति थी और उनकी सेना में ऐसे तत्व थे जो असामाजिक तरीके से लोगों को बरगला कर चुप बैठाना चाहते हैं।

माधव नेपाल ने यह भी कहा था कि ऐसे लोगों को समझा-बुझाकर शांत करना समाज का दायित्व था उनका माना था यदि हम अतिवाद के सामने आंखें मूंद लेंगे और उसे रोकने की कोशिश नहीं करेंगे तो यह सभी लोग हमारे सर पर चढ़कर नाचेंगे।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.