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मानवता और सदाशयता हेतु समर्पित संवेदनशील जननेता: राजीव गांधी

सुरेश पचौरी, मुंबई। 21 मई 1991 को काल के क्रूर हाथों ने राजीव गांधीजी को हम से छीन लिया था। नियति ने समय के केनवास पर उन्हें बहुत कम समय दिया, लेकिन एक जननेता और प्रधानमंत्री के रूप में देश को विकासपथ पर ले जाकर राष्ट्रीय क्षितिज में उन्होंने भारत को जो पहचान व ऊंचाई दिलाई, वह इतिहास के पन्नों में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित है। उन्होंने भारत को आधुनिक, खुशहाल और एक मजबूत राष्ट्र बनाने में विशेष भूमिका निभाई। 

21 वीं सदी में भारत को तकनीकी रूप से दक्ष राष्ट्र  बनाने का स्ववप्न  देखने वाले राजीव जी अपने विचारों और संवेदनशील नेतृत्वरकर्ता के रूप में वर्तमान समय में हमें सबसे ज्याअदा याद आते हैं। उन्हों ने तकनीक और विज्ञान से सम्पसन्ने ऐसे राष्ट्रन की कल्परना की थी जो मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्योंृ से युक्तन हो, जहां सांप्रदायिकता, घृणा, आतंकवाद, अशिक्षा, गरीबी जैसी बुराइयों के लिए जगह न हो। उनकी राजनीति भेद की नीति नहीं थीबल्कि देश के विकास की उनकी परिभाषा में सर्वजन हित और सर्वसंरक्षण समाहित था।

याद करना जरूरी है कि राजीव गांधी ने मर्मान्तक क्षणों में देश की बागडोर थामी थी। समूचा देश श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या को लेकर शोक में डूब हुआ था। इन जटिल हालातों में भी बिना विचलित हुए राजीवजी ने चुनौतीपूर्ण दायित्व को बड़ी सूझबूझ के साथ संभाला था।

आज सांप्रदायिकता देश में नए सिरे से जड़ें जमा रही है तब यह रेखांकित करना बहुत आवश्यंक है कि सांप्रदायिकता के खिलाफ राजीवजी की दृष्टि और दिशा दोनों बहुत स्पष्ट थी। राजीवजी ने लगातार फिरकापरस्त ताकतों, घृणा, आतंकवाद, अशिक्षा एवं गरीबी के खिलाफ संघर्ष किया। वे जाति, धर्म और सम्प्रदाय के संकीर्ण दायरे से देश को उबारना चाहते थे। उनका प्रयास था कि भारत पारस्परिक सद्भावना का एक ऐसा गुलदस्ता बने जो नवनिर्माण के साथ विकास की मंजिल की ओर निरन्तर बढ़ता रहे।

दिसम्बर, 1984 के आम चुनाव में देश की जनता ने कांग्रेस के पक्ष में अभूतपूर्व जनादेश दिया एवं राजीव गांधीजी देश के प्रधान मंत्री बने। वे एक ऐसे राजनेता थे,  जिन्होंने हमेशा अपने समय से आगे देश के उत्कर्ष का सोचा। राजीव गांधी भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के प्रमुख सूत्रधार थे। राजीवजी का विश्वास था कि भारत का भविष्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में निहित है। उनकी सोच में उस उन्नतशील भारत की तस्वीर थी, जिसे सूचना प्रौद्योगिकी के द्वारा ही संवारा जा सकता था। आज भारत में चारों ओर जो कम्प्यूटर क्रांति दिखाई देर ही है, वह राजीवजी की ही देन है। विकसित कहे जाने वाले राष्ट्रों तक ने हमारी टेक्नो लॉजी को न केवल स्वीकार किया बल्कि उसकी उच्चगुणवत्ता को विश्वस्तर पर सराहा गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद राजीव गांधीजी ने देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए जोरदार कदम उठाए।

एक स्वप्नद्रष्टा की तरह राजीव गांधी भारत का भविष्य युवाओं की आँखो में देखते थे। उन्हें भारत की युवाशक्ति पर इतना विश्वास था कि उन्होंने मताधिकार की पात्रता आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी। उनका मानना था कि जब 18 वर्ष की आयु में युवा संपत्ति का अधिकारी हो जाता है तो मताधिकार से उसे वंचित रखना ठीक नहीं। एक तरह से यह एक बड़ा अवदान है राजीवजी का युवा पीढ़ी के लिए। इस अधिकार की बदौलत लोकतंत्र में आज युवा महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने जिस तरह से नए लोगों और युवा पीढ़ी को आगे किया, वह उनकी व्यापक सोच, संकल्प और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। राजीवजी ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किये। उन्होंने महिलाओं को अधिकार दिलाने की कई योजनाएं लागू कीं। पंचायतों एवं नगरीय निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की।

सार्वजनिक जीवन में प्रवेश के बाद चूंकि उन्होंने देश के विभिन्न स्थानों - खासकर ग्रामीण इलाकों का अनवरत दौरा किया था, फलस्वरूप भारत के गांव, उन्हें भारत की आत्मा नजर आते थे। राजीवजी देश के दुर्गम इलाकों में निवासरत आदिवासियों के जीवन में खुशहाली लाना चाहते थे। वे बतौर प्रधानमंत्री सीधे गरीब की झोपड़ी तक पहुँचकर उससे प्रत्यक्ष मुलाकात करते थे। यह मामूली बात नहीं, बल्कि समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति के प्रति राजीवजी की संवेदनशीलता थी।

महात्मा गांधी द्वारा परिकल्पित “ग्रामस्वराज”राजीव गांधी की प्राथमिकताओं में शामिल था। उन्होंने ‘नहिं दरिद्र कोउ़ दुखी न दीना’की भावना के अनुरूप राम राज्य को साकार रूप देने का संकल्प लिया था। वे चाहते थे कि गांव के विकास का पैसा सीधे गांव की पंचायतों तक पहुंचे और गांव में विकास की दिशा ग्रामवासी मिलजुलकर तय करें। 

राजीव गांधी का मानना था कि किसान हमारे देश की रीढ़ हैं। खेती-किसानी की तरक्की के बिना देश की तरक्की संभव नहीं है। राजीवजी ने अपने प्रधानमंत्रीकाल में कृषि में ज्यादा पूँजीनिवेश का प्रावधान किया। कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए जल संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल पर जोर दिया। राजीवजी ने हरित क्रांति की समीक्षा की और यह पाया कि हरितक्रांति से गेंहू का उत्पादन तो काफी बढ़ा है, परंतु तिलहन और दलहन के क्षेत्र में अधिक सुधार की जरूरत है। उन्होंने तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए तिलहन टेक्नोलॉजी मिशन बनाया। दलहन के लिए राष्ट्रीय परियोजना शुरू की। इसके अलावा उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में नये कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया तथा पेयजल, खाद्यान्न, दूरसंचार, कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों में भी प्रगति हेतु विभिन्न टेक्नोलाजी मिशन गठित किए।

राजीव गांधी का मानना था कि पर्यावरण संरक्षण और विकास की अवधारणा में संतुलन आवश्यक रूप से होना चाहिए। उन्होंने गंगा विकास प्राधिकरण की स्थापना कर गंगा नदी की सफाई का अभियान शुरू किया। राजीवजी ने अपरंपरागत ऊर्जा स्रोतों के दोहन को वरीयता दी एवं बायोगैस के प्रयोगों को बढ़ावा दिया।

राजीव गांधी एक सच्चे लोकतंत्रवादी थे, एक ऐसे व्यक्ति थे जो सदा नये विचारों और रचनात्मक आलोचनाओं का स्वागत करते थे। उनके मन में विपक्ष के नेताओं के प्रति भी सम्मान था और विपक्ष से उनके राजनीतिक मतभेद अवश्य थे लेकिन एक-दूसरे के प्रति उनके मन में समादर स्नेह का भाव था। ततकालीन विपक्ष के नेता श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने राजीवजी को श्रद्धांजलि देते वक्त कहा था कि राजीवजी बड़े अनुशासित व्यक्ति थे और वे मुझे जब भी मिलते थे, पूरे शिष्टाचार का पालन करते थे। एक बार मेरी तबियत बिगड़ गई और मुझे इलाज के लिए विदेश जाना था। जब यह बात राजीवजी को पता चली तो उन्होंने मेरे विदेश जाने का तत्काल प्रबंध कराया।

एक सांसद, प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष के रूप में उन्होंने जो भी भूमिका निभाई, सभी में अपनी कार्यकुशलता की अमिट छाप छोड़ी। सबकी सुनना और सबको साथ लेकर चलना राजीवजी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता थी। वे आमजन की समस्याओं को बड़े ध्यान से सुनते थे और फिर सही दिशा निर्देश देकर उसको सुलझाने का काम करते थे, यही उनकी कार्यशैली थी।

भारत रत्न राजीव गांधी की स्मृति बनाए रखना सिर्फ रस्म अदायगी नहीं, बल्कि उस सपने का भी सम्मान होगा, जो उन्होंने नवीन, सक्षम और समृद्ध भारत के लिए देखा था। राजीव गांधी की स्मृति को संजोए रखना, उनके उस सपने का सम्मान होगा जो उन्होंने नये भारत के नवनिर्माण के लिए देखा था।

ऐसे युगपुरुष का यशस्वी जीवन, उनकी शहादत तथा उनकी अनगिनत स्मृतियां हमेशा देश के लिए प्रेरणादायक रहेंगी। राजीव गांधी के आदर्शों से प्रेरणा लेकर उनके सद्विचारों को देश के कोने-कोने तक पहुँचाना, उन्हें आत्मसात करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर मानवता को समर्पित महामानव को नमन।

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