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हमारे विचार जैसे होते हैं वैसे हम बन जाते हैं: कमलेश शास्त्री

बेगमगंज।  मढ़िया गुसाईं में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के द्वितीय दिवस पर पं.कमलेश कृष्ण शास्त्री महाराज अयोध्या नगर बेगमगंज वालों ने कहा  विचारों की शक्ति बहुत अधिक है। विचार ही जीवन की आधारशीला है। यदि हमारे कर्म, शब्द और विचार शुभ और सकारात्मक होंगे तो हमारे जीवन में सम्पन्नता आयेगी। मनुष्य की सकारात्मक सोच ही उसे शुभ कार्यों के लिए प्रेरित करती है। मनुष्य के जैसे विचार होते हैं वैसा ही उसका जीवन बनता है। स्वर्ग और नरक कहीं अन्यत्र नहीं, इनका निवास हमारे विचारों में ही है। वर्तमान में हम जो कुछ भी हैं अपने विचारों के ही कारण हैं और भविष्य में जो कुछ भी बनेंगे वह भी अपने विचारों के कारण ही। कोई वस्तु अच्छी या बुरी नहीं है। अच्छाई-बुराई का आधार हमारे विचार ही हैं। मनुष्य के जैसे विचार होते हैं वह वैसा ही बन जाता है। हमारा जीवन जो कुछ भी है, हमारे अपने ही विचारों के फलस्वरूप है। विचारों की शक्ति सर्वोच्च तथा अपार है। संसार के समस्त विचारकों ने एक स्वर से विचारों की शक्ति और उसके असाधारण महत्त्व को स्वीकार किया है। संक्षेप में, जीवन की विभिन्न गतिविधियों का संचालन करने में हमारे विचारों का ही प्रमुख हाथ रहता है। हम जो कुछ भी करते हैं अपने विचारों की प्रेरणा से ही करते हैं। अतः हमें अपनी सोच के सीमा को बढ़ाना होगा। जो व्यक्ति अपनी सोच को सीमित रखता है, वह अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पाता है। इसलिए हमेशा आपको अपनी सोच का दायरा बड़ा रखना चाहिए।

भागवत कथा का श्रवण कराते शास्त्री जी


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