निरीक्षकों ने फैलाया मैहर उचेहरा नागोद कोठी रामनगर में मायाजाल, हालात बेकाबू
भोपाल। मध्य प्रदेश शासन का आबकारी विभाग अवैध शराब के कारोबार को मुकम्मल बनाने में जी जान से जुटा हुआ है। शासन ने अवैध शराब और पैकारी में नकेल कसने का आदेश जारी कर रखा है इसके बाद भी आबकारी विभाग मात्र कागजी कार्रवाई को अंजाम देने तक सीमित रहता है। सतना जिले मैहर उचेहरा कोठी नागोद रामनगर में आबकारी विभाग के कोहिनूर इंस्पेक्टर अवैध शराब के कारोबार को बढ़ाने का काम जिम्मेदारी के साथ कर रहे हैं। मैहर विजय सिंह बघेल सोनिया ठाकुर और को सौंप रखी है। ये निरीक्षक रिटेलर के लिए ईमानदारी से काम करते हुए अवैध शराब के कारोबार को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। सतना मैहर रामनगर उचेहरा कोठी नागोद में अवैध शराब बिक्री का पूरा नेटवर्क काम करता है। शराब दुकानों के ठेकेदारों और आबकारी विभाग का चोली दामन वाला साथ रहता है इसलिए आबकारी विभाग जिम्मेदारी के साथ अवैध शराब बिकवाने का काम करता है। त्यौहार को या वीना त्यौहार देखते हुए सतना मैहर रामनगर उचेहरा में शराब माफिया ने आबकारी विभाग के साथ मिलकर सुनियोजित विजय सिंह बघेल और सोनिया ठाकुर ठेकेदारों को बराबर सहयोग देने का काम आला अधिकारियों के आदेश पर करते हैं। आबकारी विभाग की मिलीभगत के कारण सतना शहर के हर मोहल्ले सहित गांवों में अवैध शराब बिकवाने का काम डंके की चोट पर किया जा रहा है।
दुकान एक पर रेट अनेक, विभाग का खुला संरक्षण
जिला आबकारी विभाग की सह पर शराब के मामले में अलग अलग रेट की व्यवस्था संचालित होती है। शहर में शराब पीने के शौकीन लोगों को शराब दुकानों में अलग अलग रेट मिलते हैं। इस पर दबी जुबान आबकारी विभाग के एक्सपर्ट बताते हैं कि शराब दुकानों की कीमत अलग-अलग एरिया के हिसाब से विभाग तय करता है। नियमानुसार शराब का रेट शासन की दुकानों में एक जैसा होना चाहिए लेकिन यह स्थिति आज तक देखने को नहीं मिलती है। रिटेलरों को सहयोग करने वाले निरीक्षकों की वजह से अवैध शराब का धंधा जोरों पर चल रहा है।
आबकारी अधिकारी विभा मरकाम हमेशा ठेकेदारों के रहे मददगार
अवैध शराब समाज के लिए एक खतरनाक बीमारी बन गई है। इस कोढ से खतरनाक बीमारी को बढ़ाने का काम पुलिस के साथ साथ जिला आबकारी विभाग करता है। आबकारी अधिकारी विभा मरकाम और शराब भाटिया ग्रुप माफिया के बीच मजबूत याराना जगजाहिर है। शासन के तय वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने तक ही आबकारी विभाग की सक्रियता रहती है। सतना जिले में आबकारी विभाग की हालत पिछले पांच साल के दौरान बद से बद्तर हुई है। हर शराब ठेकेदार से मासिक कमीशन पाने वाले अधिकारियों के रहते अवैध शराब बिक्री के कारोबार पर कभी सार्थक नकेल नहीं कसी जा सकती।