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क्षेत्रीय भाषा में भी डिस्टेंस लर्निंग के टूल विकसित करें: राज्यपाल मंगुभाई पटेल

एनईपी और ओडीएल पर मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय की दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का भव्य शुभारम्भ

भोपाल। कुलाधिपति और राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि दूरवर्ती शिक्षा 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करने के लक्ष्य में सहायक होगी। मप्र में शिक्षा की पहुँच बढ़ाने और उसे विद्यार्थी-परक बनाने में दूरस्थ शिक्षा प्रणाली प्रभावी साधन बन सकती है। यह आरक्षित वर्ग और महिलाओं को मुख्यधारा में शामिल करने में भी निर्णायक साबित होगी। दूरस्थ शिक्षा के विस्तार में भाषा बाधक न बने इसलिए क्षेत्रीय भाषाओँ में डिस्टेंस लर्निंग के स्मार्ट टूल्स विकसित किया जाना चाहिए।

श्री पटेल आज प्रशासन अकादमी में मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा 'इंप्लीमेंटेशन आफ नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020: एप्रोचेस, ऑपर्च्युनिटीज एंड चैलेंजेस फॉर ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग एजुटेशनल इंस्टीट्यूट्स' विषय पर आयोजित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस के शुभारम्भ सत्र को संबोधित कर रहे थे। सत्र की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि जरूरतमंद विद्यार्थियों को उनकी आवश्यकतानुसार स्थानीय स्तर पर ही वोकेशनल ट्रेनिंग प्रदान की जाना चाहिए। जिससे छात्रों को उनके आसपास के उद्योगों में रोजगार मिल सके। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस संगोष्ठी से ऐसी राह निकलेगी जो छात्रों को बेहतर प्लेसमेंट के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।

उन्होंने कहा कि डिस्टेंस एजुकेशन में पुस्तकों, अभ्यास सामग्री की डिजिटल उपलब्धता को विस्तारित किया जाना चाहिए। इस प्रणाली को यूजर-फ्रेंडली बनाने के लिए शोध और अनुसंधान किया जाना चाहिए। आवश्यकता यह भी है कि दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को छात्र हितकारी बनाया जाए। पाठ्यक्रम रोजगार मूलक और ज्ञान सम्पन्न करने वाले होना चाहिए।

एकलव्य थे ओपन यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी 

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि पांच हजार वर्षों का इतिहास देखें तो भारत में ओपन यूनिवर्सिटी रही है। हम कह सकते है कि एकलव्य ओपन यूनिवर्सिटी के ही विद्यार्थी थे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विद्या के बल पर विशिष्ट पहचान बनाई। भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने भी 64 दिनों के शार्ट टर्म कोर्स में 64 कला, 14 विद्या प्राप्त की और भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमदभागवत का ज्ञान दिया। उन्होंने कहा कि मप्र उच्च शिक्षा विभाग ने सीमित संसाधनों के बावजूद कोविड के कठिन काल में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए कदम बढाया। गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने में भोज मुक्त विश्वविद्यालय की भी प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि इग्नू की तरह भोज विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के लिए चैनल प्रारंभ करें। 

कार्यक्रम के सारस्वत वक्ता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नागेश्वर राव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सभी के लिए एक बड़ा अवसर है। दूरस्थ शिक्षा छात्र केन्द्रित है। भारत में 1100 पारंपरिक विश्वविद्यालयों और 40 हजार से अधिक महाविद्यालयों में 1.35 करोड़ विद्यार्थी उच्च शिक्षा मंह अध्ययनरत है जबकि 19 लाख अर्थात 11 प्रतिशत विद्यार्थी ओपन यूनिवर्सिटीज के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे है। नियमित संस्थानों की तरह मुक्त और दूरस्थ शिक्षा संस्थान भी नेक ग्रेडेशन में अच्छी रैंक ला रहे हैं और वह किसी भी नजरिए से नियमित संस्थानों से कम नहीं है। नई शिक्षा नीति में डिजिटल एजुकेशन को अधिक महत्व दिया गया है। उन्होंने बताया कि स्वयं पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध कराए गए हैं। इनमंे चार करोड़ से अधिक विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के प्राध्यापकों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ट्रेनिंग में सभी राज्यों से अधिक रुचि ली है और अधिक से अधिक प्राध्यापक ट्रेनिंग ले रहे हैं।

प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के अध्यक्ष प्रो रविंद्र कान्हरे ने कहा कि मध्य प्रदेश ने सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन किया। दूरस्थ और मुक्त शिक्षा की अपनी चुनौतियां हैं तो अवसर भी है। कई नियामक संस्थाओं ने अपने कई सारे पाठ्यक्रम दूरस्थ और मुक्त शिक्षा के माध्यम से संचालित करने से मना कर दिया है जिससे दूरस्थ शिक्षा संस्थानों को काफी दिक्कतों का सामना करना होगा। उन्होंने आह्वान किया कि जिस प्रकार अन्य राज्यों में दूरस्थ शिक्षा के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है उसी प्रकार मध्यप्रदेश में भी दूरस्थ शिक्षा के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति प्रदान करने पर विचार किया जाना चाहिए। असम राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद दास ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात के लक्ष्य को केवल पारंपरिक शिक्षा पद्धति द्वारा नहीं पूरा किया जा सकता।  इसकी अपनी सीमाएं हैं। इस लक्ष्य को पाने में मुक्त और दूरस्थ शिक्षा ही सहायक होगी।

स्वागत भाषण देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय तिवारी ने कहा कि भोज विश्वविद्यालय बहुत न्यूनतम शुल्क में गरीब और वंचित वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। यह संगोष्ठी दूरस्थ शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में मील का पत्थर साबित होगी। कार्यक्रम में स्मारिका का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो रतन सूर्यवंशी ने किया और आभार कुलसचिव डॉ अनिल कुमार शर्मा ने माना। इस अवसर पर अतिथियों ने डॉ किशोर जॉन और डॉ बिंदिया तांतेड द्वारा लिखित 'एडेप्टिंग आईसीटी टू द एनईपी-2020 इन हायर एजुकेशन' और 'लाइब्रेरी एंड इनफार्मेशन सर्विसेज इन न्यू नार्मल' पुस्तकों का विमोचन भी किया।

कांफ्रेंस के पहले दिन दो तकनीकी सत्र हुए, जिनमें दूरस्थ शिक्षा से संबंधित शिक्षाविदों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। पहले सत्र की अध्यक्षता डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद की कुलपति प्रो अमी उपाध्याय ने की। इस सत्र में पांच शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। दूसरे सत्र की अध्यक्षता मप्र लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो एसपी गौतम ने की। इस सत्र में चार विशेषज्ञों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और विस्तृत विचार विमर्श किया।

             डॉ किशोर जॉन 

             निदेशक, सीका एवं कांफ्रेंस संयोजक

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