भोपाल। जन्म के समय कम लिंगानुपात दर्शाने वाले जिलों में निगरानी रखें। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने सोमवार को मंत्रालय में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिशेध) अधिनियम के अंतर्गत राज्य सुपरवाइजरी बोर्ड की बैठक में यह बात कही।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा कार्य हुआ है। इसके सकारात्मक परिणाम भी मिल रहे हैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट के क्रियान्वयन में भी अच्छा कार्य हुआ है। जन्म के समय लिंगानुपात की स्थिति में सुधार हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएसएस) की रिपोर्ट में वर्ष 2015-16 में एक हजार बालक पर 927 बालिकाओं के विरुद्ध वर्ष 2019-20 में एक हजार बालक के विरुद्ध 956 बालिकाओं का जन्म हुआ है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि प्रदेश में लिंग चयन गतिविधियों के प्रतिशेध के लिये मुखबिर योजना को जन-समुदाय तक पहुँचाने के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये। लिंग चयन एवं लिंग आधारित गर्भपात के दुष्प्रभाव और गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के संबंध में जानकारी देने के लिये महाविद्यालयीन छात्राओं को ब्राण्ड एम्बेसेडर के रूप में चयनित किया जाने का निर्णय लिया गया था। समुदाय स्तर पर जागरूकता बढ़ाने में ब्राण्ड एम्बेसेडर के रूप में छात्राओं को जिम्मेदारी देने के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। बोर्ड ने इसे एक अच्छी और अनुकरणीय पहल माना है।
डॉ. चौधरी ने कहा कि जन्म के समय लिंगानुपात में सर्वाधिक कमी दर्शाने वाले दतिया, सतना, ग्वालियर, रायसेन, सीधी, बुरहानपुर, सीहोर, गुना, देवास, सिंगरौली, पन्ना, हरदा और बड़वानी जिलों में पंजीकृत सोनोग्राफी केन्द्रों के संचालकों, जिला समुचित प्राधिकारियों और पीसीपीएनडीटी नोडल ऑफिसर की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से राज्य स्तरीय समीक्षा की जाये। पीसीपीएनडीटी अधिनियम की संबद्धता गर्भ का चिकित्सीय समापन (एमटीपी) अधिनियम को ध्यान में रखते हुए गर्भपात करने वाली औषधियों के विक्रय पर निगरानी रखने के लिये औषधि निरीक्षकों को निर्देशित करने का निर्णय भी लिया गया।