बेगमगंज। ग्राम तिंसुआ में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन विभिन्न प्रसंगों पर किए प्रवचन । कथा व्यास हरिकेश शास्त्री महाराज तिंसुआ वालो ने बताया मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते है। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया । तीसरे दिन की कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। व्यासपीठाधीश्वर ने गुरुवार को भागवत कथा के दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। कथावाचक शास्त्री जी ने बताया वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। वैराग्य में मानव संसार में रहते हुए भी सांसारिक मोहमाया से दूूर रहता है। समस्त ग्रामवासी ने कथा श्रवण की एवम भागवत भगवान की आरती में सम्मिलित हुए।
कथा का वाचन करते शास्त्री जी |