बेगमगंज। संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 में विधि के समक्ष कोई भेदभाव के बिना समान रूप से व्यवहार करने का कानून है माननीय उच्चतम न्यायालय ने थर्ड जेंडर पर 2014 में नालसा की याचिका पर थर्ड जेंडर को भी समानता का दर्जा देने का न्याय सिद्धांत पारित किया है ।
उक्त उद्गार शासकीय दीनदयाल महाविद्यालय में प्राचार्य प्रो. कल्पना जाबुलकर की अध्यक्षता में उच्च शिक्षा विभाग के आदेशानुसार रूसा एवं आई. क्यूएसी के अंतर्गत आयोजित शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में अपर लोक अभियोजक बद्री विशाल गुप्ता ने व्यक्त किए ।
उन्होंने कहा कि समाज में लैंगिक समानता प्राप्त करने की दिशा में अधिक जागरूकता और कार्रवाई की आवश्यकता है । जो दो दशकों से अधिक समय से महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने में सबसे आगे हैं । लिंग के प्रति दृष्टिकोण और व्यवहार में मौलिक बदलाव की आवश्यकता भी है ।
लैंगिक असमानता पर कुछ मौजूदा आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहाकि महिलाओं को नेतृत्व के पदों पर कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है । अधिकांश व्यवसाय में पुरुषों की तुलना में कम कमाई होती है । अकसर कार्यस्थल में भेदभाव और उत्पीड़न के अधीन होती है । दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं को गरीबी का अनुभव करने और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी होने की अधिक संभावना है। लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों संगठनों और सरकारों के प्रयास की आवश्यकता होती है।
उन्होंने सभी से लैंगिक रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों को चुनौती देने , महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली पहलों का समर्थन करने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाली नीतियों की वकालत करने का आग्रह किया ।
विशिष्ट अतिथि राजकुमार जैन एडवोकेट ने महिलाओं की प्रेरक कहानियां साझा करते हुए कहाकि कई बाधाओं का सामना करने के बावजूद बाधाओं को तोड़ा और विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया । महिलाओं को अपने जीवन की बात और अपने हाथ में लेने और अपने जुनून को पूरा करने एवं समाज में अपना उचित स्थान मांगने की आवश्यकता बताई । शिविर में व्याख्यान कॉल टू एक्शन के साथ समाप्त हुआ । जिसमें सभी से अधिक न्याय संगत और न्यायपूर्ण दुनिया बनाने में अपनी भूमिका निभाने का वक्ताओं द्वारा आग्रह करते हुए याद दिलाया कि लैंगिक समानता हासिल करना केवल एक महिला का मुद्दा नहीं बल्कि मानव अधिकार का मुद्दा है , जो सभी को प्रभावित करता है ।
कुल मिलाकर व्याख्यान लैंगिक समानता की तत्काल आवश्यकता और उसे वास्तविक रूप में हम में से प्रत्येक की भूमिका एक शक्तिशाली अनुस्मारक होना चाहिए ।
आभार प्रदर्शन प्रो. डीके साहू एवं संचालन प्रो. निमिषा महेश्वरी द्वारा किया गया । शिविर में महाविद्यालय की समस्त स्टाफ एवं सैकड़ों विद्यार्थियों ने भाग लिया। डीडी महाविद्यालय में विधि के समक्ष समता , समानता विषय पर आयोजित शिविर का