बेगमगंज। शबे बरात का मुकद्दस त्यौहार नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी अकीदत के साथ मंगल और बुध की दरमियानी रात में मनाया गया।
कई मस्जिदों में सामूहिक दुआ का आयोजन भी किया गया। |
घरों में मीठे पकवान के साथ ही सामूहिक और तन्हाई के साथ इबादत की गई। शहर की 17 मस्जिदों मैं लोग इबादत के लिए एकत्रित हुए उनका पूरा समय नफिल नमाजे, कुरान पाक की तिलावत, तस्वीहात पढ़ने में गुजरा वही कब्रिस्तान में जाकर अपने पूर्वजों की मगफिरत की दुआ भी की। मदरसा मदीना तुल उलूम पठान वाली मस्जिद में मदारिस के तुलबा का सालाना जलसा दस्तारबंदी कार्यक्रम भी इशां की नमाज के बाद से शुरू हुआ जिसमें हाफिज होने वाले चार तलबा की दस्तारबंदी की गई।
मरकज मस्जिद के पेश इमाम मौलाना सामिद खां नदवी ने जानकारी देते हुए बताया कि शबे बरात की रात फैसले और बजट की रात होती है इस दिन पाक परवरदिगार आने वाले दिनों में पैदा होने वाले और मरने वालों की सूची सहित गुनहगारों की बख्शिश और पूरे साल का बजट तैयार करवाता है।
इस रात में मां बाप की नाफरमानी करने वाला, नशा करने वाला, रिश्तेदारों से संबंध विच्छेद करने वाला, तस्वीर बनाने वाला और छुपी हुई बातों को बताकर जादू टोना करने वालों की तरफ परवरदिगार नहीं देखता। जब तक कि वह अपने गुनाहों की माफी सच्चे दिल से ना मांग ले तब ही उनकी मगफिरत हो पाती है।
पूरी रात शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मस्जिदों, ख़ानक़ाहों, दरग़ाहों, आस्तानों, कब्रस्तानों में जाकर लोगों ने फ़ातेहाख़्वानी की इबादत के साथ विश्व शांति सदभाव के साथ-साथ देश की खुशहाली ,तरक्की के लिए खुसूसी विशेष दुआऐं की गई। इबादत का यह सिलसिला अलसुबह तक जारी रहि। अनेक घरों में सेहरी,अफ्तारी और रोज़ा रखने का भी एहतेमाम किया गया।
कई घरों में मीठा हलवा, खीर, मिठाई इत्यादि पक़वान बनाकर फ़ातेहाख़्वानी करके ग़रीबों,, मोहताज़ों, विकलांगों को तक़सीम किया गया । विभिन्न मस्जिदों पर चरागा रोशनी की गई वही मजारों पर भी लाइट लगाकर रोशनी की गई जबकि अनेक लोग बीना नदी के पास स्थित महान सूफ़ी बरूअल वाले बाबा, पीर पहाड़ी पर स्थित बुजुर्ग, मौला अली पीर, फतेहपुर टेकरी, उप जेल, पशु चिकित्सालय, जामा मस्जिद स्थित कंजी वाले बाबा, किला अंदर सीढ़ी वाले बाबा,पुरानी जेल, शादुल्ला शाह हजीरा आदि स्थानों की मजारों पर फातिहा पढ़ने पहुंचे।