बेगमगंज। होलिका दहन की अग्नि नकारात्मकता का नाश करती है वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से इसकी लपटों से वातावरण में मौजूद कई कीटाणुओं नष्ट होते हैं होली के त्योहार को रंगों का पर्व भी कहा जाता है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है ज्योतिषाचार्य हरिकेश शास्त्री तिंसुआ वालो ने बताया इस बार होली 8 मार्च बुधवार को मनाई जाएगी 7 मार्च मंगलवार को होलिका दहन किया जाएगा। सनातन धर्म में फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का पर्व होली बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और यह आपसी प्रेम का प्रतीक है।
हमारे देश में होली का विशिष्ट उत्सव दो दिनों तक चलता है, हालांकि इसकी तैयारी कम से कम एक सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती है। इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत मनाने के लिए होता है।
इसमें एक अलाव प्रज्वलित किया जाता है और इसमें बुराइयों का नाश करने की प्रार्थना की जाती है वहीं होलिका दहन के अगले दिन रंग खेलकर खुशियां मनाने की प्रथा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार रंगों का त्यौहार होली हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और लोग मिलजुल कर रंग खेलते हैं।
रंगों के एक दिन पहले होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली भी कहा जाता है ज्योतिषाचार्य हरिकेश शास्त्री तिंसुआ वालो ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि समापन 07मार्च , मंगलवार, शाम 05 बजकर 42 मिनट पर
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त -7 मार्च, मंगलवार, सायं 6:13 से रात्रि 8:39 तक होलिका दहन की अवधि - 02 घंटे 26मिनट। रंग वाली होली की तिथि होलिका दहन के अगले दिन यानी कि 8 मार्च बुधवार को रंग खेलने वाली होली मनाई जाएगी। इस पर्व को लोग एक दूसरे को रंग लगाकर और गले मिलकर मनाते हैं।
पंडित हरिकेष शास्त्री |
होली की पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था वो घमंड में चूर होकर खुद के ईश्वर समझने लगा। हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में ईश्वर के नाम लेने की मनाही लगा दी लेकिन उनका पुत्र प्रह्लाद भगवान का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला था। एक बार हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए। लेकिन ईश्वर की कृपा से आग में बैठने पर होलिका जल गई और प्रहलाद बच गया। तब से ही ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में होलिका दहन किया जाने लगा। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन की लपटें हमारे शरीर और मन के लिए बहुत लाभकारी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे कई शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं और बुराइयों का नाश होता है। होलिका दहन की अग्नि नकारात्मकता का नाश करती है वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से इसकी लपटों से वातावरण में मौजूद कई कीटाणुओं को नष्ट करती हैं। इसके अलावा यह पर्व मुख्य रूप से वसंत ऋतु यानी की फसल के समय मनाया जाता है जो सर्दियों के अंत का प्रतीक होता है। इस पर्व से दो दिन तक हंसी -खुशी का माहौल होता है।
होली में रंग खेलना समाज को एक साथ लाने और एक दूसरे के बीच की दूरी को काम करने में मदद करता है। यह त्योहार हिंदुओं के अलावा अन्य धर्मों में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन रंग खेलने से शत्रु भी करीब आ जाते हैं और मित्र बन जाते हैं। इस दिन सभी अपनी पुरानी लड़ाइयों को भूलकर एक-दुसरे के पास आ जाते हैं और अमीर-गरीब के बीच का अंतर भी दूर हो जाता है। यह पर्व भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। वास्तव में होली का पर्व सभी लोगों को एक दूसरे के करीब लाता है और आपसी झगड़ों को दूर करने में मदद करता है।