बेगमगंज। अभी तक आप सभी को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था लेकिन अब आपकी निस्बत कुरआन से जुड़ गई इसलिए आज से लोग आपका नाम ना लेकर आपको हाफिज साहब के नाम से पुकारेंगे ये एजाज उन्हीं लोगों को मिलता है जो अपने सीने में कुरआन को बसा लेते हैं।
मदरसा मदीनतुल उलूम दस्तारबंदी |
उक्त बात जमीअत उलमा के सदर मौलाना सैयद जैद ने मदरसा मदीनतुल उलूम पठान वाली मस्जिद के सालाना जलसे में दस्तारबंदी कार्यक्रम में जलसे की सरपरस्ती करते हुए कहीं उन्होंने उपस्थित लोगों से अपने बच्चों को दुनिया की तालीम के साथ-साथ कुरआन की तालीम दिलाने के लिए प्रेरित किया।
जलसे की शुरुआत अब्दुल असद ने तिलावते कलाम पाक से की नात शरीफ का नजराना शेर अली ने पेश किया। मदरसे के मो. इफ्तिखार ने शुरुआती जोशीली तकरीर देकर माहौल में हरारत पैदा कर दी। मदरसे के अन्य बच्चों ने नात शरीफ तकरीर और किरत पेश कर लोगों को सुभानल्लाह कहने पर मजबूर कर दिया। मदरसे के तुलवा की बेहतरीन पेशकश पर लोगों ने हौसला अफजाई के लिए नगद इनाम भी दिए। वही बच्चों को शील्ड कप आदी भी प्रदान किए गए। जलसे की सदारत मौलाना नजर मो. कासमी ने करते हुए अपने सदारती बयान में मदरसे का परिचय कराते हुए बताया कि मदरसे में 250 बच्चे पढ़ते हैं। जिसमें से 75 बच्चों के रहने खाने पीने व सभी इंतेजाम कमेटी द्वारा सभी के सहयोग से किया जाता है । पढ़ाई के लिए छ: उस्ताद 3 मुलाजिम अपनी खिदमात देते हैं। बच्चों से किसी तरह की फीस नहीं ली जाती।
मरकज मस्जिद के इमाम मौलाना सामिद खां नदवी , मोहम्मदगढ़ से तशरीफ लाए मौलाना मासूम खां मजाहिरी, व अन्य उलेमा ने संबोधित करते हुए अपने बच्चों को दीनी तालीम दिलाने पर जोर देते हुए कहा कि आप अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर सांइटिस चाहे जो बनाए लेकिन उन्हें दीन की तालीम जरूर दिलाएं ताकि वह पैग़ंबरे इस्लाम के द्वारा दी गई शिक्षा के तहत अपने काम को अंजाम दे सकें। अगर उनकी जिंदगी में दीन होगा तो वह अपने कर्तव्य ईमानदारी के साथ निभा पाएंगे।
जलसे का बेहतरीन संचालन करते हुए मुफ्ती रुस्तम खां नदवी ने मदरसा के सालाना आय व्यय का लेखा-जोखा पेश किया और लोगों द्वारा जलसे में दिए गए सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
जलसे में शहर के जिम्मेदार उलेमा और मदरसे के उस्तादों की मौजूदगी में हाफिज बनने वाले मो. अयान कुरेशी पुत्र अ. अहद कुरेशी, मो. हमजा राईन पुत्र इस्हाक राईन ( रेग्जीन) बेगमगंज, मो. फरहान पुत्र हाफिज जफर खां भोपाल, मो. राशिद ग्राम बमुलिया रायसेन के सिर पर साफा बांधकर उन्हें हाफिज की सनद पेश की गई। लोगों द्वारा पेश किए गए उपहार भी प्रदान किए गए। लोगों द्वारा हाफिज हुए चारों बच्चों को फूलों के हार पहना कर स्वागत किया गया।
आपको बता दें कि मदरसा मदीनातुल उलूम पठान वाली मस्जिद तहसील का सबसे बड़ा मदरसा है जिसमें पिछले वर्ष भी 11 बच्चे हाफिजे कुरान हुए थे। एक अल्लाह वाले बुजुर्ग मौलाना अमजद अली मरहूम के जरिए इसकी शुरुआत 43 साल पहले की गई थी। अब मदरसे के मुख्य जिम्मेदार हाफिज अकबर खां है साथ में कमेटी का पूरा सहयोग मिलता है। मदरसे में हिफ्ज, नाजरा, किरात, व तजवीद, शोबा अरबी अव्वल एवं असरी तालीम भी दी जाती है। मदरसे के जिम्मेदार हाफिज सैयद अकबर अली ने जलसे के समापन पर सभी का शुक्रिया अदा कर हाफिज बन चुके चारों बच्चों को दुआओं से नवाजा।
जलसे में उक्त उलेमा के अलावा मौलाना अदनान अब्दुल बारी नदवी, मुफ्ती मो. जुनेद जुल्फी, मौलाना तस्लीमुद्दीन साकिबी, मौलाना जैद जुल्फी, मौलाना अब्दुल गय्यूर मजाहिरी, मौलाना मुबश्शिर नदवी, कारी इरशाद अली, कारी सरफराज खां, हाफिज अशफाक खां, हाफिज शाकिर खान, हाफिज फैजुल हक, मौलाना अब्दुल रहमान, मुफ्ती असालत नदवी, कारी जुल्फिकार, समेत अन्य उलेमा शहर के जिम्मेदार और भारी संख्या में लोग मौजूद थे।