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चिकित्सा विशेषेज्ञों के नियुक्ति पत्र जारी करने पर हाई कोर्ट की रोक

बेगमगंज। विभागीय पीजीएमओ को चिकित्सा विशेषज्ञ ना बनाकर डायरेक्ट भर्ती करने पर ज़्यादा ज़ोर दे रही सरकार जिसको लेकर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं  विभाग में मौजूद पीजी एमओ जो वर्षों से सेवाकर रहे हैं ,अनुभवी हैं उन्हें नज़र अन्दाज़ कर डायरेक्ट स्पेशलिस्ट भर्ती निकालकर शासन कुछ लोगों को लाभ पहुँचाना चाहती है जो की सर्वथा अनुचित है जिसके विरोध में सेवारत  चिकित्सकों को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी पर वहाँ भी कोर्ट से यह कहकर की चयन प्रक्रिया पे रोक ना लगायें हम कुछ भी अनुचित नहीं करेंगे सभी विभागों के साक्षात्कार पूरे किए बिना ही  जिनाए विभाग की पदस्थापना सूची ज़ारी कर दी ।इससे तो यही लगता है की शासन चंद कुछ लोगों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए कुछ ज़्यादा ही जल्दी में है।शासन द्वारा निकाले गए स्पेशलिस्ट पदो के लिए ऐकडेमिक क्वालिफिकेशन के अलावा किसी प्रकार का अनुभव नहीं माँगा गया जबकी विभागीय पीजी एमओ हेतु डिग्री धरियों को दो वर्ष एवं डिप्लोमा धरियों को तीन वर्ष की सेवा अवधि के बाद ही पात्रता होगी । यह सेवा रत चिकित्सकों के साथ घोर अन्याय है जिसके विरोध में याचिका डाली गई है । शासन की इस भर्ती से वर्षों से काम कर रहे विभागीय चिकित्सक आज डायरेक्ट भर्ती होने वाले चिकित्सकों से वरिष्ठता में पीछे हो जाएँगे और यह उन्हें उनके पूरे सेवाकाल में वरिष्ठ पदो पर प्रमोशन में प्रभावित करेगा । 

शासन के इस कदम से प्रदेश सहित शहर के चिकित्सकों में  भारी रोष और असंतोष है । चिकित्सकों का कहना है कि शासन नए स्पेशलिस्ट चिकित्सक भर्ती करे लेकिन विभाग में मौजूद सभी  पीजीएमओ को स्पेशलिस्ट बनाने के बाद जिससे सेवा रत चिकित्सकों के हित प्रभावित ना हों।

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