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बजट को लेकर किसान नेता ने लगाया सरकार पर किसानों के साथ धोखाधड़ी का आरोप

बताया किसान सम्मान निधि, फसल बीमा एवं खाद सब्सिडी के बजट में कटौती करना सरकार का आपराधिक कृत्य आगामी विधानसभा चुनाव में खामियाजा भुगतने को तैयार रहे भाजपा

बेगमगंज किसान संघर्ष समिति के प्रदेश सचिव श्रीराम सेन ने 2023 के बजट  पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि  भारत की खेती पर आधारित गांव में रहने वाली 65 प्रतिशत आबादी को बजट का केवल 3.20 प्रतिशत आवंटित गया किया है जो कि 2022 के बजट में 3.84 प्रतिशत था, ग्रामीण विकास के लिए बजट 5.81 प्रतिशत से घटाकर 5.29 प्रतिशत कर दिया गया है। 

श्री राम सेन

किसान नेता ने कहा कि भारत में एक किसान परिवार की आय 27 रूपए प्रतिदिन है जो की बढ़ती महंगाई के दौर में किसी भी परिवार के नाश्ते के लिए भी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का जो वायदा किया था उसे पूरा करने के लिए किसानों को डीजल, बिजली, खाद, बीज, कीटनाशक के दामों में 50 प्रतिशत की कमी कर अर्थात  सब्सिडी का इंतजाम करना या फिर समर्थन मूल्य को दोगुना करने के लिए बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए था।    

श्रीराम सेन ने कहा कि जिस देश में अमृत काल में  गौतम अडानी 1600 करोड़ रुपए प्रतिदिन कमा रहे है, वहीं मनरेगा में  200 रुपए प्रतिदिन पारिश्रमिक  दिया जा रहा है, उसी देश के किसानों को 6000 रुपए प्रति वर्ष  प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि देना किसानों के साथ क्रूर मजाक किया जाना है।

उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के लिए पिछले साल सरकार ने 68 हजार करोड़ का इंतजाम किया था जिसे घटाकर 60 हजार करोड़ कर दिया गया है जबकि संसद में दिए गए आंकड़े के अनुसार 15 करोड़ किसान परिवारों में से सम्मान निधि की सभी किस्तें यानी 4 साल के 24,000 रूपए केवल 3 करोड़  किसान परिवारों को ही आवंटित किया गया है। इसी तरह खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी जो 2022 में 2,25,000 करोड़ थी उसे घटाकर 1,75,000 करोड़ कर दिया गया है।

श्रीराम सेन ने यह भी कहा कि  मोदी सरकार द्वारा एक तरफ किसानो का आवंटन ही बहुत कम कर दिया जाता है दूसरी तरफ बजट में घोषणा के मुताबिक वास्तविक तौर पर उस बजट को घोषित योजना पर खर्च नहीं किया जाता है।

उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि गत 3 वर्षों से सरकार ने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की एक लाख करोड़ रुपए की घोषणा की थी लेकिन वास्तव में केवल 10 प्रतिशत ही खर्च किया गया। उन्होंने कहा कि देश के किसान सभी कृषि उत्पादों की न्यूनतम समर्थन मूल्य ( सी 2 +50%) पर खरीद की मांग कर रहे है लेकिन सरकार जिन 23 फसलों के समर्थन मूल्य पर खरीद की घोषणा करती है उन फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद तक के लिए बजट में राशि आवंटित नहीं की गई है। केंद्र सरकार फसल बीमा को लेकर तमाम दावे करती रही है लेकिन 2022 में फसल बीमा के लिए आवंटित 15, 500 करोड़ को घटाकर 13,625 करोड़ कर दिया गया है। जिससे साफ हो जाता है कि केंद्र सरकार फसल बीमा योजना को भी गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा योजना के लिए इस वर्ष 90,000 करोड़ खर्च किया गया था जिसे घटाकर वर्तमान बजट में 60,000 करोड़ कर दिया गया है, जो जरूरत से आधा भी नहीं है।

उन्होंने भारत सरकार की आर्थिक खस्ता हालत का उल्लेख करते हुए कहा कि देश पर कुल कर्ज जीडीपी का 84 प्रतिशत हो चुका है जिसका ब्याज चुकाने के लिए बजट का 20 प्रतिशत पैसा खर्च किया जा रहा है। सरकार कारपोरेट टैक्स में 2 प्रतिशत की वृद्धि कर तथा उत्तराधिकारी टैक्स लगाकर देश के जरूरतमंदों के लिए साफ पीने का पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा के इंतजाम कर सकती थी लेकिन उसने पूंजीपतियों को अधिकतम छूट देने और गरीबों से अधिकतम टैक्स वसूलने की नीति अपनाई है।

श्रीराम सेन ने कहा कि किसानों के साथ बजट में की गई कटौती से ग्रामीण क्षेत्रों में नाराजगी है।  भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतने को तैयार रहे।


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