Type Here to Get Search Results !

सम्मेद शिखरजी बचाओ आंदोलन में सरकार के निर्णय का विरोध सौंपा ज्ञापन

बेगमगंज। सम्मेद शिखरजी को लेकर विश्व जैन संगठन द्वारा आयोजित देशव्यापी सम्मेद शिखरजी बचाओ आंदोलन के समर्थन में अखंड जिला जैन परिषद द्वारा बड़ा जैन मंदिर से रैली निकालकर महामहिम राज्यपाल, प्रधानमंत्री, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्री, मुख्यमंत्री झारखंड के नाम का ज्ञापन एसडीएम अभिषेक चौरसिया को सौंप कर 5 सूत्रीय मांगों को पूरा करने की मांग की गई।

ज्ञापन सौंपते हुए जैन समाज के लोग

ज्ञापन में झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी, जिसे पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है। जैन धर्म का अनादि धन, सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र है। जहां से 24 में से 20 तीर्थंकरों के साथ कोड़ा-कोड़ी महामुनिराज सिद्धालय गए हैं। इस तीर्थक्षेत्र का कण-कण इतना पवित्र है कि कहा जाता है जो यहां निर्मल भावों से एक बार वंदना कर लेता है, उसको कभी नरक त्रियंच गति का बंधन नहीं होता। ऐसे पवित्र पावन तीर्थ पर कुछ समय से लगातार अप्रिय घटनाओं के होने से श्री सम्मेद शिखरजी तीर्थ क्षेत्र की सुरक्षा व पवित्रता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है। इसका प्रमुख कारण रहा जब सब लोगों ने चैनल महालक्ष्मी के माध्यम से, वहां पर बनी पवित्र टोंके (मंदिर रूप जहां से तीर्थंकर मोक्ष गए) पर हजारों लोग घूमने मस्ती करने की भावना से चढ़ते हुए, जूते-चप्पल उन चरणों पर लेकर खड़े होकर, फोटो शूट कराते दिखे, वही चरण, जिन पर मस्तक रखकर हर व्यक्ति अपने को धन्य समझता है।

ज्ञापन में शामिल लोग 

साथ ही वहां पर पवित्र पारसनाथ की तलहटी में मंदिरों के बीच मांस पकाते भी फुटेज में कैद हुए। ऐसे पवित्र तीर्थ पर मांस मदिरा जहां बिल्कुल निषेध होनी चाहिए, वहां सार्वजनिक रूप से खरीदी बेची जाती है। जब झारखंड अलग राज्य नहीं बना था तब तत्कालीन बिहार सरकार ने इसे वन्य जीवन अभ्यारण आधिकारिक गजट  21 अगस्त 83 से घोषित कर दिया, जिस तीर्थ क्षेत्र को पवित्र अहिंसक शाकाहार क्षेत्र घोषित करना चाहिए था, उसी गजट को आधार बनाकर 2 अगस्त 19 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसे इको सेंसेटिव जोन की परिधि में ला दिया । इससे पूर्व 2016 में भी इस सम्मेद शिखरजी क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। जैनों के इस सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र को इन तीन गज़ट की आधिकारिक सूचनाएं, इस तीर्थ की पावनता, पवित्रता व सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है। जैन समाज के लगातार,अहिंसा  शाकाहार का पूरे विश्व में उद्घोष करने वाले श्री सम्मेद शिखरजी को पवित्रतम जैन तीर्थ क्षेत्र रूप से घोषित किया जाए।

साथ ही प्रशासन  इसकी पवित्रता को बरकरार रखने के लिए उचित कदम उठाएं जिससे अज्ञानता वश भी कोई मंदिर स्वरूप टोंक के ऊपर कोई जूते चप्पल आदि चमड़े की वस्तुएं नहीं ले जा सके। मांस मदिरा के खरीदने - बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध हो । वर्तमान में यह - पर्यटक स्थल का रूप लेता जा रहा है जिससे इसकी पवित्रता पूरी तरह नष्ट हो रही है। जैन समाज यही मांग रखता है कि श्री सम्मेद शिखरजी की 48 किलोमीटर की परिक्रमा परिधि तथा तलेटी पर मधुबन के मंदिर क्षेत्र को पूर्व तक शाकाहारी पवित्र धार्मिक जैन तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए। श्री सम्मेद शिखरजी पर्यटन के रूप में या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के रूप में समाज को कतई स्वीकार्य नहीं है। जैन समाज नहीं चाहता कि यहां पर पर्यटन रूपी सुविधाओं की शुरुआत हो इसको पवित्र धार्मिक जैन तीर्थ क्षेत्र घोषित करने का आह्वान करता है । जैन समाज यहां की बुनियादी सुविधाओं के बदले इसे पर्यटन में बदलना कभी स्वीकार नहीं कर सकता और इसकी धार्मिक पृष्ठभूमि को कभी भी दूसरे रूप में नहीं बदला जाए, पुरजोर मांग करता है। ज्ञापन सौंपने से पूर्व तहसील परिसर में ही समाज के लोगों को जिला अखंड जैन परिषद के अध्यक्ष पुष्पेंद्र जैन जैन समाज अध्यक्ष सरकार द्वारा संबोधित किया गया ज्ञापन का वाचन पुष्पेंद्र जैन द्वारा किया जाकर ज्ञापन सौंपा गया और उपस्थित सभी का आभार व्यक्त किया।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.