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गिरफ्तार जयस नेताओं को रिहाई की मांग को लेकर संभाग आयुक्त कार्यालय पर डॉ सुनीलम के नेतृत्व में हुआ प्रदर्शन दिया ज्ञापन

इंदौर जेल में बंद से डा ओहरी से मुलाकात की डॉ सुनीलम और रामस्वरूप मंत्री ने

इंदौर। पिछले 15 नवंबर से रतलाम में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे जैसे नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में आज इंदौर में विभिन्न राजनीतिक सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने पूर्व विधायक डॉ सुनीलम के नेतृत्व में संभाग आयक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया एवं ज्ञापन देकIर डॉ आनंद राय, डॉक्टर ओहरी सहित सभी जयस नेताओं को तत्काल रिहा कर  जयस नेताओं के खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लिए जाने की मांग की । प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए डॉ सुनीलम ने कहा कि वर्तमान सरकार अपने विरोधियों को दबाने के लिए इस तरह की फर्जी कार्य कर रही है जिसका सभी जन संगठन मिलकर मुकाबला करेंगे । 

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से केआर यादव ,रामस्वरूप मंत्री, प्रमोद नामदेव ,कैलाश लिंबोदिया ,सीएल सर्वरात, दिनेश सिंह कुशवाह, रजनीश जैन, सुषमा यादव, मोहम्मद अली सिद्दीकी, डीएल मिश्रा, कैलाश यादव, मुकेश चौधरी,विजय दलाल,  मदन अग्रवाल, रशीदा बानो, शुभम देवड़ा ,सहित मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, सीटू ,सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, समाजवादी पार्टी, संस्था मेहनतकश ,किसान संघर्ष समिति आदि के कार्यकर्ता  शरीक थे। 

सहायक संभाग आयुक्त रजनीश श्रीवास्तव को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि इंदौर के विभिन्न जन संगठनों और राजनीतिक सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता रतलाम में शांतिपूर्ण जयस नेताओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार कर इंदौर की एवं प्रदेश की अन्य जिलों में रखे जाने पर अपना रोज जाहिर करते हुए विरोध दर्ज कराते हैं तथा मांग करते हैं कि सभी गिरफ्तार नेताओं को तत्काल रिहा किया जाए और जयस के कार्यकर्ताओं पर दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं।

इंदौर सेन्ट्ल जेल में बंद जयस नेता डॉक्टर ओहरी से आज सुबह डॉ सुनीलम और रामस्वरूप मंत्री ने मुलाकात की। डा ओहरी ने विस्तार से बताया कि मुख्यमंत्री ने पहले जयस से समर्थन की मांग के हेतु बैठक की और जब बात नहीं बनी दो तरह के फर्जी मुकदमे बनाएं ना केवल मुकदमे बनाए बल्कि गिरफ्तार पांचों नेताओं को अलग-अलग जेलों में बंद रखा गया ठीक जेल के अंदर डॉक्टरी को राजनीतिक पुस्तकें पढ़ने तथा पूरे आंदोलन को व्यवस्थित तरीके से पत्र व्यवहार के जरिए मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति तक पहुंचाने के लिए डॉ सुनीलम ने जेल सुपरिटेंडेंट सुश्री अलका सिलावट से भी आग्रह किया जिसे उन्होंने पुस्तके उपलब्ध कराने पर उन्हें पढ़ने के लिए देने पत्र लिखने की भी अनुमति देने का विश्वास दिलाया ।

गौरतलब है कि जब 15 नवंबर 2022 को पूरा देश आदिवासी जननायक बिरसा मुंडा की जयंती मना रहा था, तब रतलाम में राजनीतिक बदले की भावना से 5 सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अभय ओहरी, डॉ आनंद राय, विलेश खराड़ी, गोपाल वाघले, अनिल निनामा को अलग-अलग जगह से गिरफ्तार किया गया तथा अन्य  19 सामाजिक कार्यकर्ताओं पर एफ.आई.आर दर्ज की गई।

सहायक श्रम आयुक्त को दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि झाबुआ में कुछ नेताओं द्वारा आदिवासियों के गैर राजनीतिक संगठन जयस पर अनर्गल आरोप लगाए गए, पूरे आदिवासी समुदाय को अपमानित किया गया लेकिन स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा उकसावे पूर्ण भाषण देने वाले व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की बजाय सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने का काम किया गया है।

डॉ सुनीलम ने कहा कि रतलाम के स्थानीय आदिवासियों द्वारा ग्राम सभाओं की बिना सहमति से दिल्ली -मुंबई नेशनल कॉरिडोर तथा निवेश क्षेत्र बनाने का  विरोध किया जा रहा है क्योंकि आदिवासियों से छीनी जा रही भूमि ही उनका एकमात्र जीविकोपार्जन का साधन है। इस संबंध में आदिवासियों द्वारा विधायक, सांसद से सवाल पूछा जाना उनका संवैधानिक अधिकार है। सवाल पूछने पर फर्जी मुकदमे दर्ज करना अलोकतांत्रिक और गैर संवैधानिक कार्यवाही है 

सामाजिक कार्यकर्ताओं के परिवारजनों से जानकारी प्राप्त हुई है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तथा उन्हें सागर सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। सागर और इन्दौर की केन्द्रीय जेल, जहां गंभीर प्रकृति के क्रिमिनल सजायाफ्ता अपराधी है, वहां डॉ आनंद राय तथा डॉ अभय ओहरी को फर्जी मुकदमें लाद कर लंबे समय तक कैद में रखना यह बताता है कि जयस नेताओ के साथ आतंकवादियों जैसा बर्ताव कर मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है, जो आदिवासी संगठन जयस को दबाने की भाजपा सरकार की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता और कार्यशैली का प्रतीक है।

सरकार ने आदिवासियों को लेकर तमाम कार्यक्रमों की घोषणाएं की है तथा कानून बनाने की पहल की है। उन कानूनों को और भारत के संविधान में आदिवासियों से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों को लागू करने की मांग करना किसी भी दृष्टि से आपत्तिजनक नहीं माना जा सकता। यह हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है ।

याद रखें कि आदिवासियों का इतिहास बतलाता है कि वे मुगलों और अंग्रेजों तथा सरकारों से कभी डरे नहीं है। कृपया उन्हें भयभीत करने का प्रयास न करें। जयस की राजनीतिक ताकत से घबराकर  सरकार द्वारा  दमनात्मक कार्यवाही की जा रही है। 

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