बेगमगंज। इन दिनों क्षेत्र में मिलावटी व नकली देशी घी और शहद का विक्रय असली बताकर ग्रामीण कर रहे है और लोग उनके झांसे में आकर ठगे जा रहे है। लेकिन खाद्य विभाग का देशी घी व शहद की जांच की तरफ ध्यान ही नहीं है जिसके कारण मिलावटखोरों की चादी हो रही है। मिलावटी दूध की तो यदा कदा जांच खाद्य विभाग द्वारा करली जाती है वहीं नकली मावे व मिठाईयों की भी जांच की जाती है लेकिन आज तक खाद्य विभाग ने कभी भी नकली व मिलावटी देशी घी व शहद की जांच करने की कोशिश नहीं की है। जिससे आमजन को असली देशी घी व शहद उपलब्ध नही हो पा रहा है।
नकली घी |
ग्रामीण क्षेत्र के लोग व कुछ ठग किस्म के लोग बड़े शहरों में जाकर असली घी का सेंट लेकर आते है और वनस्पति घी में उबले हुए आलू को मिक्स कर सेंट डालकर उसे असली देशी घी बनाकर धड़ल्ले से बेंच रहे है वनस्पति घी जिसे डालडा भी कहते है में आलू उबालकर इस लिए मिक्स किया जाता है कि वह दाने दार हो जाए क्योंकि असली देशी घी दानेदार होता है। नकली मिलावटी घी बेचने वालों को पांचगुना आय हो रही है वे ढेड़ सो रूपए किलो का डालडा खरीदकर 6 सो रूपए मिलावटी नकली घी बेंच रहे है जिससे उनके बारे न्यारे है और आमजन नकली घी लेकर पछताता है कुछ दिनों बाद उसमें अजीब सी बदबू | आने लगती हैं क्योंकि उसमें आलू जो मिले होते है।
इसी तरह मधुमक्खी के शहद को छत्ते को तोड़कर असली शहद निकालकर उसमे गुड की चाशनी बनाकर थोड़ा बहुत नाम चीन को असली शहद मिलाकर एक किलो का पांच किलो कर 3 सो रूपए किलो बेच रहे है उसमें मधु मक्खी के छत्ते भी डाल लेते है ताकि खरीदने वाला उसे असली समझे। इस तरह का मिलावटी शहद दवा के रूप में इस्तेमाल करने पर फायदे के स्थान पर नुकसान हो रहा है बच्चों की दवाएं अक्सर शहद में मिलाकर दी जाती है। नकली या मिलावटी शहद के कारण बच्चों को अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इस संबंध में जिला खाद निरीक्षक कुदसिया खान का कहना है कि इस बारे में किसी ने आजतक शिकायत नहीं की है। मीडिया मामला समाने लाई है विशेष तोर पर घी और शहद की भी जांच कराई जाकर ठगी करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।