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अखिल भारतीय दशनाम गोस्वामी समाज के तत्वधान में, धूमधाम से मनाई गई गुरु दत्तात्रेय जयंती

बेगमगंज। अखिल भारतीय दशनाम गोस्वामी समाज के तत्वधान में सगौनी गुसांई गांव में राम जानकी मंदिर से गांव के मुख्य मार्गों में धर्म ध्वजा, भजन मंडली, कलश, गाजेबाजे के साथ संतों एवं सर्व समाज के सदस्यों ने भगवान गुरु दत्तात्रेय की झांकी के साथ शोभायात्रा निकाली।


जयंती कार्यक्रम

दैनिक हवन, पूजन, अनुष्ठान के बाद दिन में करीब 12 बजे भक्तों ने श्री राम जानकी मंदिर से भगवान दत्तात्रेय के जयकारों के साथ शोभायात्रा की शुरुआत की।  ढोल-नगाड़ों के साथ झांकी निकाली गई। संतों एवं भगवान के भक्तों ने भगवान दत्तात्रेय के जयकारों के साथ गांव का भ्रमण किया ।

इस दौरान लोग भजन, कीर्तन करते हुए मधुर संगीत की धुन पर जमकर थिरके।  झांकियों के माध्यम से विभिन्न धार्मिक प्रसंगों का मंचन किया। उक्त स्थानों पर झांकी निकालने के बाद भक्तजन  मंदिर पहुंचे। जहां सैकड़ों लोगों ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद लिया।

धर्म सभा को संबोधित करते हुए महंत देवेंद्र गिरी गोस्वामी ने कहा हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव यानी ब्रह्म, विष्णु और महेश का स्वरूप माना गया है. भगवान दत्तात्रेय महायोगी और महागुरु के रूप में भी पूजनीय हैं. क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक भगवान दत्तात्रेय द्वारा चौबीस गुरुओं से शिक्षा ली गई. जिनमें मनुष्य, प्राणी, वनस्पति सभी शामिल थे। इसलिए दत्तात्रेय की उपासना धार्मिक दृष्टि मोक्षदायी मानी गई है।

अखिल भारतीय दशनाम गोस्वामी समाज के जिला अध्यक्ष बाल गिरी गोस्वामी ने भगवान दत्तात्रेय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल यानी शाम के वक्त माना गया है। यही कारण है हर पूर्णिमा तिथि पर भी दत्तात्रेय की उपासना ज्ञान, बुद्धि, बल प्रदान करने के साथ शत्रु बाधा दूर कर कार्य में सफलता और मनचाहे परिणामों को देने वाली मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय भक्त की पुकार पर शीघ्र प्रसन्न होकर किसी भी रूप में उसकी कामना पूर्ति और संकटनाश करते हैं।

श्री दत्तात्रेय भगवान विष्णु के छठे अवतार:-आगे श्री गिरी ने कहा मुनि अत्रि और महान योगिनी अनसूया माता के पुत्र दत्त के त्रिमूर्ति रूप देख साक्षात् ब्रह्मा, विष्णु और महेश के दर्शन होते हैं. त्रिदेवी अर्थात सावित्री, लक्ष्मी और पार्वती के त्रिदेवों यानी बह्रा, विष्णु और शिव के इच्छा भोजन के लिए श्री दत्त का अवतार हुआ है।

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