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गुड़ को साफ करने होता है घातक पदार्थों का इस्तेमाल

बेगमगंज। बेगमगंज एवं सिलवानी के कई गावों में अब बड़े पैमाने पर किसान गन्ने की फसल लेकर स्वयं गुड़ बनाने का काम करने लगे है। गुड़ का रंग साफ करने के लिए कुछ एक गुड़ निर्माता कृषकों द्वारा रसायनयुक्त पदार्थों और ऐसे तेल का इस्तेमाल करते देखा गया जो स्वास्थ्य की दृष्टि से पूर्णत:  वर्जित है।

गुण बनाने के यंत्र व प्रक्रिया,

कैसे बनाते है जायकेदार गुड़:- गुड़ के रंग को निखारने और उसमें चमक लाने के लिए गन्ने के रस को जिस कढ़ाई में पकाया जाता है इसमें सैफलाइट नामक रसायन पदार्थ का उपयोग कि या जा रहा है। कई किसान अरण्डी का तेल मिलाकर गुड़ बना रहे हैं तो कई एक जंगली बड़ी भिण्डी की जड़ को पीस कर कढ़ाई में डाला जाता है। इसमें खौलते गन्ने के रस में फैन निकलता है और गुड़ का रंग साफ हो जाता है। वैसे गुड़ कई साल तक बिना खराब हुए चलता है परन्तु इसमें हो रहे अपमिश्रण से स्थिती यह है कि अब गुड़ की गुणवत्ता चार पांच महीने की रह गई । इसके बाद वह खराब हो जाता है। जानकारों के अनुसार रंग साफ करने के लिए इसमें मिलाया जाने वाला चूना, सैफालाइट, अरंडी का तेल गुड़ गुणवत्ता को नाश कर देता है।

फूड विभाग दे ध्यान- औषधी एवंप्रशासन विभाग के फुड इंस्पेक्टर दुकानों पर बिकने वाली सामग्री आदि की तो जांच करते है। लेकिन गुड़ बनाने की प्रक्रिया जिले में संचालित होने के बावजूद कभी गुड़ के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले घातक रसायन पदार्थों का निरीक्षण नहीं करते। यही कारण है कि गुड़ बनाने वाले धडल्ले से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रसायनों का उपयोग कर रहे है। 


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