बेगमगंज। देश आज विजय दिवस की 51वीं वर्षगांठ मना रहा है। 16 दिसंबर को हर साल विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन 1971 में भारत ने पाकिस्तान को जंग में हराया था। इसी ऐतिहासिक जीत का जश्न हर साल मनाया जाता है। हालांकि इस जंग में भारतीय सैनिकों ने बड़े पैमाने पर कुर्बानियां भी दी थीं। करीब 3900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, जबकि 9851 सैनिक घायल हुए। आज देश के वीर सिपाहियों के शौर्य, अदम्य साहस, कुर्बानी को नमन किया जा रहा है।
1971 में पाकिस्तान और भारत के बीच जंग हुई थी। इस जंग में पाक सेना को करारी हार मिली और 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा। युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया। आज यही क्षेत्र स्वतंत्र देश बांग्लादेश बन गया है। पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।
घोष दल पथ संचलन करता हुआ |
आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर दस्तखत करने के बाद नियाजी ने अपनी रिवाल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दी। नियाजी की आंखों में आंसू थे। रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोग नियाजी की हत्या करने की मांग कर रहे थे। लेकिन भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने नियाजी को सुरक्षित वापस भेजा। भारत की इस जीत की खबर से उस दौरान इंदिरा गांधी ने लोकसभा में युद्ध में भारत की जीत की घोषणा की, जिसके बाद सदन समेत पूरा देश जश्न में डूब गया। आदि बातें विद्यालय के प्राचार्य प्रकाश शर्मा ने सभी भैया बहिनों के समक्ष रखी एवं घोष दल के साथ संचलन हनुमान बाग विद्यालय से प्रारंभ होकर मुख्य मुख्य मार्गों से निकल कर गांधी बाजार, पुलिस चौकी नया बस स्टैंड,से होता हुआ दशहरा मैदान पहुंचा जहां पर हनुमान बाग विद्यालय के प्राचार्य जय प्रकाश तिवारी ने कार्यक्रम का समापन किया एवं आभार व्यक्त किया।