हाईकोर्ट की फटकार के बाद पशु चिकित्सकों के आनन-फानन में प्रमोशन की कवायदआज विभाग को पेश करना है कंटेम्प्ट का जवाब, 13 दिसंबर को होगी सुनवाई
भोपाल। हाईकोर्ट के कडे रुख बाद अनारक्षित वर्ग के पशु चिकित्सकों के प्रमोशन प्रक्रिया आनन-फानन में शुरू हो गई है। प्रदेशभर में संदेश भेज कर डॉक्टरों से उनकी एसीआर सहित बुलाया गया है। पशुपालन विभाग की कोशिश है कि प्रमोशन प्रक्रिया प्रचलनशील दर्शाकर हाईकोर्ट में आज कंटेम्प्ट का जवाब सकारात्मक पेश किया जा सके।
दरअसल हाईकोर्ट जबलपुर ने 30 जून 2016 को मप्र सरकार के पदोन्नति नियम 2002 को आरक्षण के असंवैधानिक प्रावधानों के कारण अपास्त कर दिया था। इसके खिलाफ मप्र सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मांगा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसको स्वीकारते हुए स्टेटस-को के अंतरिम आदेश दिये थे। इसी अंतरिम स्टेटस-को को गलत तरीके से सरकार की ओर से प्रचारित करके बीते 6 साल से पदोन्नतियां रोकी गई हैं। हालांकि कहीं भी अनारक्षित (सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक) वर्ग की पदोन्नति पर कोई प्रतिबंध नहीं था। इसके विरोध में 2018 में धीरेंद्र चतुर्वेदी वर्सेस मप्र शासन में उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के यथास्थिति के अंतरिम आदेश की स्पष्ट व्याख्या दी थी तथा स्पष्ट किया था कि पदोन्नति नियम 2002 से पदोन्नति प्राप्त सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों/कर्मचारियों की पदोन्नति में किसी भी प्रकार की कोई बाधा नहीं है। इसके बाद भी प्रमोशन रोके गए। इसी के विरोध में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के सामने पशु पालन विभाग के 11 सामान्य, ओबीसी वर्ग के पशु चिकित्सकों ने अपील की थी। हाईकोर्ट ने उनके पक्ष मे निर्णय देते हुए समय सीमा निर्धारित कर पदोन्नति देने का फैसला सुनाया। इसके विरोध में मप्र सरकार की रिव्यू पिटीशन को कोर्ट ने खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई है।
अवमानना करने पर हाईकोर्ट ने फटकारा
कोर्ट के आदेश के बाद भी अनारक्षितों को प्रमोशन नहीं देने पर कंटेम्प्ट पेश किया गया, जिसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के ने पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा और संचालक डॉ. राजेंद्र कुमार मेहिया को फटकारा। कोर्ट ने 8 दिसंबर तक रिप्लाई फाइल करने के आदेश देते हुए 13 दिसंबर को सुनवाई निर्धारित की है।
पशुचिकित्सकों का लगा मेला
पशुपालन विभाग ने आनन-फानन में प्रदेशभर से सारे पशु चिकित्सकों को चरित्रावली के साथ बुलाया, ताकि डीपीसी की तैयारी हो सके। ज्ञात हो कि पशुपालन में 128 पद उपसंचालक के हैं, जिनमें से करीब 100 अनारक्षित पदों पर प्रमोशन होना है। इसी तरह संयुक्त संचालक के 21 पदों में से 14 पद रिक्त हैं। दो अपर संचालक और एक संचालक का पद अनारक्षित है।
प्रमोशन केलिए एसीआर तो मंगाई गई है, लेकिन अभी चल रही प्रक्रिया के बारे में स्थापना प्रभारी डॉ. अरुण शर्मा ही बता सकेंगे।
डॉ. प्यार सिंह पटेल, संयुक्त संचालक, पशुपालन
हाईकोर्ट के आदेश पालन में एसीआर गुरुवार को भी ली जाएंगी। डीपीसी कब तक होगी, तो यह अभी स्पष्ट नहीं है।
डॉ. अरुण कुमार शर्मा, उपसंचालक, स्थापना