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मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली चोरी पर प्रभावी अंकुश

भोपाल। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी कार्यक्षेत्र के भोपाल, नर्मदापुरम्, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के 16 जिलों में इन दिनों विजिलेंस चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में इस वर्ष नवम्बर माह तक 2 लाख से अधिक कनेक्शन का निरीक्षण किया गया। इनमें से 52 हजार मामले विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126, 135 एवं 138 में दर्ज किये गये। कंपनी द्वारा अनियमितताओं के मामलों में लगभग 100 करोड़ 36 लाख रूपये की बिलिंग की गई है। बिजली चोरी के 32 हजार से अधिक प्रकरण में 79 करोड़ 62 लाख रूपये की बिलिंग की गई है। साथ ही विद्युत चोरी के 37 हजार 176 प्रकरण में 184 करोड़ 37 लाख रूपये की बिलिंग कर विशेष न्यायालयों में प्रकरण दर्ज कराये गये हैं।

विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 में यदि कोई व्यक्ति सीधे विद्युत लाइन से अथवा मीटर से छेड़छाड़ (टेम्पर्ड) या मीटर को बायपास कर विद्युत का अवैध एवं अनधिकृत रूप से उपयोग कर विद्युत चोरी करते हुए पाया जाता है, तो ऐसे व्यक्ति/उपभोक्ता के प्रकरण को विशेष विद्युत न्यायालय में दर्ज किये जाने पर न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्ति/उपभोक्ता को विद्युत कंपनी को हुई विद्युत क्षतिपूर्ति राशि का 3 गुना अथवा 6 गुना आर्थिक दण्ड के साथ 6 माह से लेकर 5 वर्ष तक की अवधि के कारावास का दण्ड दिये जाने का प्रावधान है।

विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 में किसी उपभोक्ता के परिसर में जाँच किये जाने पर यदि किसी प्रकार की अनियमितता जैसे स्वीकृत भार से अधिक भार का उपयोग अथवा दिये गये संयोजन का उपयोग अन्य प्रयोजन में किया जाना अथवा दिये गये परिसर में विद्युत संयोजन का अनधिकृत विस्तार अन्य परिसर में पाये जाने पर संबंधित प्रयोजन के लिए लागू टेरिफ की दरों के दोगुने के बराबर की विद्युत क्षतिपूर्ति की राशि संबंधित उपभोक्ताओं से देय होती है।

विद्युत अधिनियम की धारा 138 में विद्युत उपकरणों एवं लाइनों से अनधिकृत रूप से संयोजित अथवा पुनः संयोजित अथवा छेड़छाड़ पाये जाने पर, न्यायालय के द्वारा ऐेसे दर्ज प्रकरणों में तीन वर्ष की अवधि का कारावास या जुर्माना, जो दस हजार रूपये तक हो सकेगा या दोनों दण्डनीय होंगे।

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